________________
牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙555555555555555
)
))
षष्ठस्थान
))
)
))
))
)))
))
))
))
))
))
))
म सार : संक्षेप
प्रस्तुत स्थान में छह-छह संख्या वाले अनेक विषय संकलित हैं। अन्य स्थानों की अपेक्षा छठा स्थान छोटा है, इसमें एक ही उद्देशक है। परन्तु अनेक महत्त्वपूर्ण चर्चाओं से परिपूर्ण है, जिनका ज्ञान सभी के ऊ के लिए उपयोगी व आवश्यक है।
सर्वप्रथम गण के धारक गणी या आचार्य की योग्यता की कसौटी बताई है। यदि वह श्रद्धावान्, सत्यवादी, मेधावी, बहुश्रुत, शक्तिमान् और अधिकरणविहीन है, तब वह गणधारण के योग्य है। (सूत्र १)
साधुओं के कर्तव्यों को बताते हुए गोचरी के छह भेद, प्रतिक्रमण के छह भेद, संयम-असंयम के छह भेद और प्रायश्चित्त का कल्प प्रस्तार आदि वर्णन साधु के लिए बहुत ही उद्बोधक है। इसी प्रकार साधु-आचार के घातक छह पलिमंथु, छह प्रकार के अवचन और उन्माद के छह स्थानों का वर्णन, ॐ
उनसे बचने की प्रेरणा देता है। ॐ कुछ जटिल प्रश्नों का समाधान अनेकान्त दृष्टि से बहुत सुन्दर किया है, जैसे अध्यात्मवादी प्रायः ॥ म कहते हैं इन्द्रिय-सुख सुख नहीं, दुःख है, किन्तु इस सूत्र में बड़ी व्यावहारिक दृष्टि से कहा है
इन्द्रिय-सुख भी सुख तो है, किन्तु अतीन्द्रिय सुख की अपेक्षा वह सुख बहुत नगण्य तथा अस्थायी है। (सूत्र १७)
इसी प्रकार पूजा-प्रतिष्ठा-सत्कार-सन्मान आदि आत्मवान् के लिए उन्नति करने की दिशा में म प्रेरणादायी बनता है तो अनात्मवान् के लिए अहंकार का कारण बनता है। (सूत्र ३२) आहार के विषय + में भी यही अनेकान्त दृष्टि में दी गई है। छह आवश्यक कारण उपस्थित होने पर आहार लिया भी जा # सकता है तथा छह कारणों से आहार का त्याग किया जाता है। + सैद्धान्तिक तत्त्वों के निरूपण में गति-आगति-पद, इन्द्रियार्थ-पद, संवर-असंवरपद, संहनन और ॐ संस्थानपद, दिशापद, लेश्यापद, मति-पद आदि पठनीय एवं महत्त्वपूर्ण सन्दर्भ हैं। ज्योतिष की दृष्टि से ॐ कालचक्र-पद, दिशा-पद, नक्षत्र-पद, ऋतु-पद, अवमरात्र और अतिरात्र-पद विशेष ज्ञानवर्धक हैं।
प्राचीन समय में वाद-विवाद या शास्त्रार्थ में वादी एवं प्रतिवादी किस प्रकार के शाब्दिक दाव-पेंच खेलते थे, यह विवाद-पद से ज्ञात होता है। ॐ विष-परिणाम पद, से आयुर्वेद-विषयक ज्ञान प्राप्त होता है। पृष्ठ-पद से अनेक प्रकार के प्रश्नों
का, भोजन-परिणाम पद से भोजन कैसा होना चाहिए आदि व्यावहारिक बातों का भी ज्ञान प्राप्त होता है। इसप्रकार यह स्थान अनेक महत्त्वपूर्ण विषयों से समृद्ध है।
))
)))
))
))
जाता है।
)
)
))
)
))
卐55555))))))))
)))
))
षष्ठ स्थान
(215)
Sixth Sthaan
卐)
For Private & Personal Use Only
Jain Education International
www.jainelibrary.org