Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 416
________________ 55555555555555555555555555555))))) 995555555555555555555555555555555555555555555 9 (before self), reproach (garha) (before the guru), refrain from doing the t act (vyavritti), purge himself (vishuddhi), resolve not to repeat, or accept suitable atonement and penance after committing treachery repeatedly, is not capable of accomplishing worship or spiritual practice. (7) A treacherous person, who does criticize (alochana) the act, do critical review (pratikraman), reprove (ninda) (before self), reproach (garha) (before the guru), refrain from doing the act (vyavritti), purge himself 551 (vishuddhi), resolve not to repeat, or accept suitable atonement and penance after committing treachery repeatedly, is capable of accomplishing worship or spiritual practice. (8) When my acharya and upadhyaya attains great knowledge and perception he will know that I was a fraud the moment he saw me. ___For these eight reasons he is ready to criticize (alochana) (etc.). १०. (ख) मायी णं मायं कटु से जहाणामए अयागरेति वा तंबागरेति वा तउआगरेति वा + सीसागरेति वा रुप्पागरेति वा सुवण्णागरेति वा तिलागणीति वा तुसागणीति वा बुसागणीति वा णलागणीति वा दलागणीति वा सोंडियालिंछाणि वा भंडियालिंछाणि वा गोलियालिंछाणी वा कुंभारावाएति वा कवेल्लुआवाएति वा इट्टावाएति वा जंतवाडचुल्लीति वा लोहारंबरिसाणि वा। ___ तत्ताणि समजोतिभूताणि किंसुकफुल्लसमाणाणि उक्कासहस्साई विणिम्मुयमाणाइं- विणिम्मुयमाणाई, जालासहस्साइं पमुंचमाणाई-पमुंचमाणाई, इंगालसहस्साइं पविक्खिरमाणाईपविक्खिरमाणाई, अंतो-अंतो झियायंति, एवामेव मायी मायं कटु अंतो-अंतो झियाए। १०. (ख) अकरणीय कार्य करने के बाद मायावी उसी प्रकार भीतर ही भीतर जलता है, जैस कि-लोहा गलाने की भट्टी, ताँबा गलाने की भट्टी, त्रपु (जस्ता) गलाने की भट्टी, शीशा गलाने की भट्टी, ज चाँदी गलाने की भट्टी, सोना गलाने की भट्टी, तिल की अग्नि, तुष की अग्नि, भूसे की अग्नि, नलाग्नि 5 (नरकट-पतले गाँठदार डंठल वाला पौधा, उसकी अग्नि), पत्तों की अग्नि, मुण्डिका का चूल्हा, भण्डिका (छोटी हांडी) का चूल्हा, गोलिका' (बड़ी हांडी) का चूल्हा, घड़ों का पंजावा (कुम्हार का आवा) ॥ खप्परों का पंजावा, ईंटों का पंजावा, गुड़ बनाने की भट्टी, लोहकार की भट्टी, तपती हुई, अग्निमय होती, हुई, किंशुक फूल के समान लाल होती हुई, सहस्रों उल्काओं और सहस्रों ज्वालाओं को छोड़ती हुई, सहस्रों अग्निकणों को फेंकती हुई, भीतर ही भीतर जलती है, उसी प्रकार मायावी माया करके स्व-पाप के भय व चिन्ता से भीतर ही भीतर जलता है। १. ये विभिन्न देशों में विभिन्न वस्तुओं को पकाने, राँधने आदि कार्य के लिए काम में आने वाले छोटे-बड़े चूल्हों के नाम हैं। 1. These are the names of different sizes of furnaces used in different areas for cooking and other works. 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 听听听听听听听听听听听听听听听。 स्थानांगसूत्र (२) (358) Sthaananga Sutra (2) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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