Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 466
________________ 卐 55 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 59552 118. At a height of eight hundred Yojans from the beautiful leve! land of this Ratnaprabha prithvi travels the Surya vimaan (the celestial vehicle of the stellar god Surya). 119. Eight nakshatras (constellations) join Chandrama (the moon) to form Pramardayoga (touching or 5 conjunction with the moon ) - ( 1 ) Krittika (Eta Tauri or Pleiades; the ! 5 3rd ), ( 2 ) Rohini (Aldebaran; the 4th), (3) Punarvasu (Beta Geminorum; the 7th), (4) Magha ( Regulus; the 10th ), ( 5 ) Chitra ( Spica Virginis; the 14th), (6) Vishakha (Alpha Librae; the 16th), ( 7 ) Anuradha (Delta 5 Scorpii; the 17th) and ( 8 ) Jyeshtha (Antares; the 18th). 卐 卐 विवेचन - चन्द्रमा के साथ स्पर्श करने को प्रमर्दयोग कहते हैं। उक्त आठ नक्षत्र उत्तर और दक्षिण दोनों 5 ओर से स्पर्श करते हैं । चन्द्रमा उनके बीच में से गमन करता हुआ निकल जाता है। इस योग का फल ५ मनुष्य लोग के लिए सुभिक्ष आदि बताया है । (वृत्ति) 卐 卐 ११८. इस रत्नप्रभा पृथ्वी के अत्यन्त समतल और रमणीय भूमि भाग से आठ सौ योजन की ऊँचाई पर सूर्यविमान भ्रमण करता है। ११९. आठ नक्षत्र चन्द्रमा के साथ मिलकर प्रमर्दयोग करते हैं(१) कृत्तिका, (२) रोहिणी, (३) पुनर्वसु, (४) मघा, (५) चित्रा, (६) विशाखा, (७) अनुराधा, (८) ज्येष्ठा । 卐 卐 Elaboration-To touch the moon is called pramard yoga. The aforesaid y eight constellations touch the moon from both south and north. The moon passes through them. It is said that this conjunction is beneficial for the human world in terms of good rains and crops. द्वार - पद DVAR PAD (SEGMENT OF GATES ) 5] बन्धस्थिति-पद BANDHASTHITI-PAD १२०. जंबुद्दीवस्स णं दीवस्स दारा अट्ठ जोयणाई उड्डुं उच्चत्तेणं पण्णत्ता । १२१. सव्वेसिंपिणं दीवसमुद्दाणं दारा अट्ठ जोयणाई उड्डुं उच्चत्तेणं पण्णत्ता । १२०. जम्बूद्वीप नामक द्वीप के चारों द्वार आठ-आठ योजन ऊँचे हैं। १२१. सभी द्वीप और समुद्रों के द्वार आठ-आठ योजन ऊँचे हैं। (SEGMENT OF DURATION OF BONDAGE) १२२. पुरिसवेयणिज्जस्स णं कम्मस्स जहण्णेणं अट्ठसंवच्छराई बंधटिती पण्णत्ता । 卐 5 १२३. जसोकित्तीणामस्स णं कम्मस्स जहण्णेणं अट्ठ मुहुत्ताइं बंधठिती पण्णत्ता । १२४. उच्चागोतस्स णं कम्मस्स (जहण्णेणं अट्ठ मुहुत्ताई बंधटिती पण्णत्ता । फ्र 120. The four dvars (gateways) of Jambudveep continent are eight Yojans in height. 121. The duars of all continents and seas are eight Yojans each in height. स्थानांगसूत्र (२) Jain Education International (406) For Private & Personal Use Only Sthaananga Sutra (2) फ्र फ्र 卐 www.jainelibrary.org

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