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जीव-पद JIVA-PAD (SEGMENT OF LIVING BEINGS) म १०. णवविधा सबजीवा पण्णत्ता, तं जहा-एगिंदिया, बेइंदिया, तेइंदिया, चउरिंदिया,
रइया, पंचेंदियतिरिक्खजोणिया, मणुया, देवा, सिद्धा। ___ अहवा-णवविहा सव्वजीवा पण्णत्ता, तं जहा-पढमसमयणेरइया, अपढमसमयणेरइया, म (पढमसमयतिरिया, अपढमसमयतिरिया, पढमसमयमणुया, अपढमसमयमणुया, पढमसमयदेवा), अपढमसमयदेवा, सिद्धा।
१०. सब जीव नौ प्रकार के हैं। जैसे-(१) एकेन्द्रिय, (२) द्वीन्द्रिय, (३) त्रीन्द्रिय, (४) चतुरिन्द्रिय, 4 (५) नारक, (६) पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिक, (७) मनुष्य, (८) देव, (९) सिद्ध।
____ अथवा सब जीव नौ प्रकार के हैं-प्रथम समय में उत्पन्न नारक, (२) अप्रथम समय में उत्पन्न नारक,
(३) प्रथम समयवर्ती तिर्यंच, (४) अप्रथम समयवर्ती तिर्यंच, (५) प्रथम समयवर्ती मनुष्य, (६) अप्रथम + समयवर्ती मनुष्य, (७) प्रथम समयवर्ती देव, (८) अप्रथम समयवर्ती देव, (९) सिद्ध।
____10. All jivas (beings) are of nine kinds—(1) Ekendriya (one-sensed beings), (2) Dvindriya (Two-sensed beings), (3) Trindriya (three-sensed beings), (4) Chaturindriya (four-sensed beings), (5) Naarak (infernal beings) (6) Panchendriya (five-sensed animal beings), (7) manushya (human beings), (8) deva (divine beings) and (9) Siddha (liberated souls).
Also, all jivas (beings) are of nine kinds-(1) Pratham samaya naarak (infernal beings at the first moment of birth), (2) Apratham 9 samaya naarak (infernal beings at post birth moments), (3) Pratham samaya tiryanch, (4) Apratham samaya tiryanch, (5) Pratham samaya manushya, (6) Apratham samaya manushya, (7) Pratham samaya deva,
(8) Apratham samaya deva and (9) Siddha. __ अवगाहना-पद AVAGAHANA-PAD (SEGMENT OF SPACE OCCUPATION)
११. णवविहा सव्वजीवोगाहणा पण्णत्ता, तं जहा-पुढविकाइओगाहणा, आउकाइयोगाहणा (तेउकाइओगाहणा, वाउकाइओगाहणा), वणस्सइकाइओगाहणा, बेइंदियओगाहणा, तेइंदियओगाहणा, चउरिदियओगाहणा, पंचिंदियओगाहणा।
११. सब जीवों की अवगाहना नौ प्रकार की है-(१) पृथ्वीकायिक जीवों की अवगाहना, : (२) अप्कायिक जीवों की, (३) तेजस्कायिक जीवों की, (४) वायुकायिक जीवों की, (५) वनस्पतिकायकि # जीवों की, (६) द्वीन्द्रिय जीवों की, (७) त्रीन्द्रिय जीवों की, (८) चतुरिन्द्रिय जीवों की, (९) पंचेन्द्रिय जीवों । 卐 की अवगाहना।
11. Avagahana (space occupation) of all beings is of nine kinds- 4 (1) avagahana of Prithvikayik (earth-bodied beings), (2) avagahana of y
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नागागागागार
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स्थानांगसूत्र (२)
(416)
Sthaananga Sutra (2)
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