Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 482
________________ B55555555555555555555555555555555558 भभभभभभ9))))55555555555555 These famous Vaasudevas will have Prativaasudevas as their $ enemies. These enemies will wield disc weapons and will be killed by their own disc weapons by Vaasudevas. विवेचन-प्रत्येक अवसर्पिणी काल में नौ बलदेव तथा नौ वासुदेव होते हैं। इनकी माताएँ भिन्न-भिन्न ॥ होती हैं, परन्तु पिता एक ही होते हैं। दोनों में परस्पर घनिष्ठ प्रेम होता है। वासुदेव प्रतिवासुदेव पर विजय * प्राप्त कर तीन खण्ड का अधिपति बनता है। वासुदेव के देहावसान के पश्चात् बलदेव संयम ग्रहण करते हैं। ॐ इस अवसर्पिणी के आठ बलदेव मोक्ष गति में गये तथा नौवें बलभद्र, बलदेव पाँचवें देवलोक में गये। इनका विशेष वर्णन समवायांग सूत्र में होने से यहाँ उसी के अनुसार जानने की सूचना दी है। Elaboration—There are nine Baladevas and nine Vaasudevas in every si regressive cycle of time. Each of these pairs have same father but si different mothers. The two have great affection for each other. Vaasudeva becomes the monarch of three sections of the continent (half the continent) by defeating Prativaasudeva. Baladeva gets initiated as an ascetic after the death of Vaasudeva. Eight Baladevas of this regressive cycle got liberated and Balabhadra, the ninth, reincarnated in the fifth Devalok. Detailed description of these is available in Samavayanga Sutra. महानिधि-पद MAHANIDHI-PAD (SEGMENT OF GREAT TREASURE) २१. एगमेगे णं महाणिधी णव-णव जोयणाई विक्खंभेणं पण्णत्ते। २१. एक-एक महानिधि नौ-नौ योजन विस्तार वाली है। 21. Every mahanidhi (great treasure) has an expanse of nine Yojans each. २२. एगमेगस्स णं रण्णो चाउरंतचक्कवट्टिस्स णव महाणिहिओ [ णो ? ] पण्णत्ता, तं जहा णेसप्पे पंडुयए, पिंगलए सव्वरयण महापउमे। काले य महाकाले, माणवग, महाणिहि संखे ॥१॥ णेसप्पंमि णिवेसा, गामागर-णगर-पट्टणाणं च। दोणमुह-मडंबाणं, खंधाराणं गिहाणं च॥२॥ गणियस्स य बीयाणं, माणुम्माणस्स जं पमाणं च। धण्णस्स य बीयाणं, उप्पत्ती पंडुए भणिया ॥३॥ सव्वा आभरणविही, पुरिसाणं जा य होइ महिलाणं। आसाण य हत्थीण य, पिंगलग णिहिम्मि सा भणिया॥४॥ 5 5555555555555555555555555558 भ 卐)))))))))) 卐 मऊ555555555555 स्थानांगसूत्र (२) (422) Sthaananga Sutra (2) 355555555555555555555555555555555555 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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