Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 477
________________ 15555555555555555555555555555555555558 Apkayik (water-bodied beings), (3) avagahana of Tejaskayik (fire-bodied beings), (4) avagahana of Vayukayik (air-bodied beings), (5) avagahana B of Vanaspatikayik (plant-bodied beings), (6) avagahana of Dvindriya 卐 (Two-sensed beings), (7) avagahana of Trindriya (three-sensed beings), (8) avagahana of Chaturindriya (four-sensed beings), (9) avagahana of Panchendriya (five-sensed beings). संसार-पद SAMSAR-PAD (SEGMENT OF CYCLES OF BIRTH) १२. जीवा णं णवहिं ठाणेहिं संसारं वत्तिंसु वा वत्तंति वा वत्तिस्संति वा, तं जहापुढविकाइयत्ताए, (आउकाइयत्ताए, तेउकाइयत्ताए, वाउकाइयत्ताए, वणस्सइकाइयत्ताए, बेइंदियत्ताए, तेइंदियत्ताए, चरिंदियत्ताए), पंचिंदियत्ताए। १२. जीवों ने नौ स्थानों से (नौ पर्यायों से) संसार-परिभ्रमण किया है, कर रहे हैं और आगे करेंगे, जैसे-(१) पृथ्वीकायिक रूप से, यावत् (२) अप्कायिक, (३) तेजस्कायिक, (४) वायुकायिक, (५) वनस्पतिकायिक, (६) द्वीन्द्रिय, (७) त्रीन्द्रिय, (८) चतुरिन्द्रिय और (९) पंचेन्द्रिय रूप से। 12. All beings did, do and will move around in cycles of rebirth (samsar k paribhraman) from nine sthaans (modes or forms)-(1) Prithvikayik (earth-bodied beings), (2) Apkayik (water-bodied beings), (3) Tejaskayik (fire-bodied beings), (4) Vayukayik (air-bodied beings), (5) Vanaspatikayik (plant-bodied beings), (6) Dvindriya (Two-sensed beings), (7) Trindriya (three-sensed beings), (8) Chaturindriya (four-sensed beings), (9) Panchendriya (five-sensed beings). रोगोत्पत्ति-पद ROGOTPATTI-PAD (SEGMENT OF ORIGINOF DISEASE) १३. णवहिं ठाणेहिं रोगुप्पत्ती सिया, तं जहा-(१) अच्चासणयाए, (२) अहितासणयाए, (३) अतिणिदाए, (४) अतिजागरितेणं, (५) उच्चारणिरोहेणं, (६) पासवणणिरोहेणं, (७) अद्धाणगमणेणं, (८) भोयणपडिकूलताए, (९) इंदियत्थविकोवणयाए। १३. नौ स्थानों-कारणों से रोग की उत्पत्ति होती है, जैसे-(१) अधिक या निरन्तर बैठे रहने से, या अधिक भोजन करने से। (२) अहितकर (गलत) आसन से बैठने से, या अहितकर भोजन करने से। (३) अधिक नींद लेने से, (४) अधिक जागने से, (५) उच्चार (मल) का निरोध करने से, (६) प्रस्रवण (मूत्र) का वेग रोकने से, (७) अधिक मार्ग-गमन से, (८) भोजन की प्रतिकूलता से, (९) इन्द्रियार्थविकोपन अर्थात् काम-विकार से। ____13. Disease is caused due to nine sthaans (reasons)—(1) Atyasansitting continuously for a long time or excessive eating. (2) Ahitasansitting in harmful or wrong posture or eating harmful food. (3) Atinidraexcessive sleeping. (4) Atijagaran-keeping awake inordinately. Hi 卐5555555555555555555555555555518 5555555FFFFF नवम स्थान (417) Ninth Sthaan 步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International

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