Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 441
________________ 355555555555555555555555555558 ) -गागागाना ४८. धर्मास्तिकाय के आठ मध्य प्रदेश मध्य भाग में रहने वाले रुचक प्रदेश हैं। ४९. अधर्मास्तिकाय के आठ मध्य प्रदेश हैं। ५०. आकाशास्तिकाय के आठ मध्य प्रदेश हैं। ५१. जीव के आठ मध्य प्रदेश हैं। fi 48. There are eight Madhya Pradesh (core sections) of Dharn astikaya. fi 49. There are eight Madhya Pradesh (core sections) of Adharmastikaya. 50. There are eight Madhya Pradesh (core sections) of Akashastikaya. 51. There are eight Madhya Pradesh (core sections) of Jiva. विवेचन-तिर्यक् लोक के मध्य भाग में एक राजु परिमाण लम्बाई-चौड़ाई वाले आकाश-प्रदेशों के दो प्रतर हैं। मेरु पर्वत के ठीक मध्य भाग में इनका स्थान है। इन दोनों प्रतरों के बीचोबीच गाय के स्तन के आकार में चार-चार आकाश प्रदेश हैं। इन्हें आठ रुचक प्रदेश कहा जाता है। ये ही रुचक प्रदेश के दिशा-विदिशाओं की मर्यादा के कारण बनते हैं। (आचारांग श्रु. १ अ. १ उ. १ नियुक्ति गाथा ४२) जीव के आठ रुचक प्रदेश जीव के मध्य भाग में स्थित रहते हैं। ये आठों रुचक प्रदेश सदा अपने शुद्ध स्वरूप में रहते हैं। इन प्रदेशों के साथ कभी कर्मबन्ध नहीं होता। भव्य, अभव्य सभी जीवों के रुचकक प्रदेश सिद्ध भगवान के रुचक प्रदेशों की तरह शुद्ध स्वरूप में रहते हैं। (भगवती सूत्र शतक ८। उ. ९) ___Elaboration-At the center of Tiryak lok at the mid-section of Merus mountain there are two levels of space. At the center of these two levels there are four space-sections each resembling four teats in udder of a cow. These are called Madhya Pradesh or Ruchak Pradesh. These core sections determine the extant of directions (Acharanga 1/1/1, Niryukti verse 42). Such Ruchak Pradesh (core sections) also exist in other agglomerate entities as well as soul. In soul also they are located at the exact center and are always in their pristine sublime form irrespective of the individual being worthy or unworthy of liberation or even liberated. They are, in fact, free of any karmic bondage. (Bhagavati Sutra 8/9) महापद्म-पद MAHAPADMA-PAD (SEGMENT OF MAHAPADMA) ५२. अरहा णं महापउमे अट्ठ रायाणो मुंडा भवित्ता अगाराओ अणगारितं पव्वावेस्सति, तं जहा-पउमं, पउमगुम्मं, णलिणं, णलिणगुम्मं, पउमद्धयं, धणुद्धयं, कणगरहं, भरहं। ५२. (भावी प्रथम तीर्थंकर) अर्हत् (इन) महापद्म आठ राजाओं को मुण्डित कर अगार से अनगारिता में प्रव्रजित करेंगे। जैसे-(१) पद्म, (२) पद्मगुल्म, (३) नलिन, (४) नलिनगुल्म, (५) पद्मध्वज, (६) धनुर्ध्वज, (७) कनकरथ, (८) भरत।। 52. Arhat Mahapadma (the first Tirthankar in future) will initiate eight kings from householders to homeless ascetics after getting their heads tonsured-(1) Padma, (2) Padmagulm, (3) Nalin, (4) Nalinagulm, (5) Padmadhvaj, (6) Dhanurdhvaj, (7) Kanakarath and (8) Bharat. 步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙%%% अष्टम स्थान (383) Eighth Sthaan 55555555555555)))))))))))))) Jain Education International www.jainelibrary.org For Private & Personal Use Only

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