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चित्र परिचय १३ ।
Illustration No. 13
आठ रुचक प्रदेश जम्बूद्वीप के मध्य भाग में मेरु पर्वत है। इस पर्वत के ठीक मध्य भाग में मध्य लोक व अधोलोक के सीमान्त पर दो प्रतर हैं। इन प्रतरों के बीच गौ-स्तनाकार चार आकाश प्रदेश ऊपर व चार नीचे यों आठ आकाश प्रदेश हैं, जिन्हें रुचक प्रदेश कहा जाता है। ये रुचक प्रदेश ही सम्पूर्ण लोक का केन्द्र भाग हैं। इन्हीं से सभी दिशा और विदिशाओं का आरम्भ होता है। इसके जिस तरफ सूर्योदय होता है वह पूर्व, सूर्यास्त होने वाली पश्चिम, बायीं तरफ उत्तर व दाहिनी तरफ दक्षिण दिशा मानी जाती है। इसी प्रकार चारों कोनों में चार विदिशा तथा ऊपर ऊर्ध्व दिशा जहाँ सभी देव लोक हैं, नीचे अधोदिशा जहाँ पर सभी नरक भूमियाँ हैं।
चित्र में सूर्योदय की पूर्व व सूर्यास्त की पश्चिम दिशा बताई है। उत्तर में विशाल पर्वत श्रेणियाँ तथा दक्षिण में अथाह समुद्र दिखाये गये हैं। (विशेष वर्णन के लिए देखें-स्थान १०, सूत्र ३०-३१, पृ. ४८४)
-स्थान ८, सूत्र ५२, पृ. ३८३
EIGHT RUCHAK PRADESH Meru mountain is at the center of Jambudveep. At the midsection of Meru mountain there are two levels of space. At the center of these there are four space-sections, each resembling four teats in udder of a cow. These are called Ruchak Pradesh. This is the starting point of cardinal and intermediate directions. From this point the directions of sunrise and sunset are called east and west respectively. To the left and right are north and south respectively. The intermediate directions are in four corners. Directly above is zenith, the place of divine realms and below is nadir, the place of infernal realms.
In the illustration east and west are shown as directions of sunrise and sunset. Towards north are shown great mountain ranges and towards south is shown unfathomable sea. (for detailed discription please refer to-Sthaan 10, Sutra 30-31, p. 484)
-Sthaan 8, Sutra 52, p. 383
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