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१०. सत्त उग्गहपडिमाओ पण्णत्ताओ। १०. अवग्रह-प्रतिमाएँ सात हैं। 10. There are seven avagraha-pratimas.
विवेचन-(अवग्रह प्रतिमा)-वसति, उपाश्रय या स्थान-प्राप्ति सम्बन्धी प्रतिज्ञा या अभिग्रह अवग्रह प्रतिमा हैं। उसके सात प्रकार हैं
(१) मैं अमुक प्रकार के स्थान में रहूँगा, दूसरे स्थान में नहीं। (२) मैं अन्य साधुओं के लिए स्थान 卐 की याचना करूँगा तथा दूसरों के द्वारा याचित स्थान में रहूँगा। यह गच्छान्तर्गत साधुओं के लिए होती
है। (३) मैं दूसरों के लिए स्थान की याचना करूँगा, किन्तु दूसरों के द्वारा याचित स्थान में नहीं रहूँगा। 卐 यह यथालन्दिक (ज्ञान प्राप्ति हेतु कुछ समय के लिए गच्छ में रहने वाले) साधुओं के होती है। उन मुनियों
के सूत्र का अध्ययन जो शेष रह जाता है, उसे पूर्ण करने के लिए वे आचार्य से सम्बन्ध रखते हैं। अतएव वे आचार्य के लिए स्थान की याचना करते हैं, किन्तु स्वयं दूसरे साधुओं के द्वारा याचित स्थान में नहीं रहते। (४) मैं दूसरों के लिए स्थान की याचना नहीं करूंगा, किन्तु दूसरों के द्वारा याचित स्थान में रहूँगा। यह जिनकल्पदशा का अभ्यास करने वाले साधुओं के होती है। (५) मैं अपने लिए स्थान की याचना करूँगा, दूसरों के लिए नहीं। यह जिनकल्पी साधुओं के होती है। (६) जिस शय्यातर का मैं स्थान ग्रहण करूँगा, उसी के यहाँ धान-पलाल आदि सहज ही प्राप्त होगा तो लूँगा, अन्यथा उकडू या अन्य नैषधिक आसन से बैठकर ही रात बिताऊँगा। यह जिनकल्पी या अभिग्रहविशेष के धारी साधुओं के होती है। (७) जिस शय्यातर का मैं स्थान ग्रहण करूँगा, उसी के यहाँ सहज ही बिछे हुए काष्ठपट्ट (तख्ता. चौकी) आदि प्राप्त होगा तो लँगा, अन्यथा उकड़ आदि आसन से बैठा-बैठा ही रात बिताऊँगा।
यह अवग्रहप्रतिमा भी जिनकल्पी या अभिग्रहविशेष धारी साधुओं के होती है। (हिन्दी टीका भाग-२, पृष्ठ ॐ ३६७। वृत्ति. पत्र २१५। प्रवचन सारोद्धार गाथा ७४४)
Elaboration Special resolution regarding seeking place of stay is called avagraha-pratima. It is of seven kinds
(1) I will stay at this specific type of place and no other. (2) I will seek 4 place of stay for other ascetics and live at the place sought by others. This is done for the ascetic of the same gachchha. (3) I will seek place of stay for others but will not stay at a place sought by others. This is meant for yathalandik (who stay with a gachchha for a short duration for studies). Such ascetics remain with an acharya to complete their studies. Therefore they seek place of stay for the acharya but do not stay at a place sought by other ascetics. (4) I will not seek place of stay for others but stay at a place sought by others. This is meant for the ascetics who are preparing for Jinkalp state. (5) I will seek place of stay for myself but not for others. This is meant for Jinakalpi ascetics. (6) I will accept hay or other things to make bed only if readily available with the
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| स्थानांगसूत्र (२)
(286)
Sthaananga Sutra (2)
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