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13. The Saptasaptamika Bhikshupratima (a specific practice with special codes) is sincerely observed (palit), purified (shodhit; for transgressions), completed (purit; for breaking fast), concluded (kirtit; break the fast) and successfully performed (aradhit) for 49 (7x7) days and nights with 196 bhikshadattis (servings of alms) according to the scriptures (yathasutra), correct interpretation (yatha-arth), prescribed procedure (yathamarg) and code of praxis (yathakalp), perfectly following fundamentals (yathatattva), with equanimity (samata) and touching the body (actually, not just conceptually).
विवेचन-भिक्षुप्रतिमाएँ १२ हैं। उनमें से सप्तसप्तमिका प्रतिमा सात सप्ताहों में क्रमशः एक-एक भक्त-पान की दत्ति द्वारा सम्पन्न की जाती है, उसका क्रम इस प्रकार है
प्रथम सप्तक या सप्ताह में प्रतिदिन १-१ भक्त-पान दत्ति का योग ७ भिक्षादत्तियाँ। द्वितीय सप्तक में प्रतिदिन २-२ भक्त-पान दत्तियों का योग १४ भिक्षादत्तियाँ। तृतीय सप्तक में प्रतिदिन ३-३ भक्त-पान दत्तियों का योग २१ भिक्षादत्तियाँ। चतुर्थ सप्तक में प्रतिदिन ४-४ भक्त-पान दत्तियों का योग २८ भिक्षादत्तियाँ। पंचम सप्तक में प्रतिदिन ५-५ भक्त-पान दत्तियों का योग ३५ भिक्षादत्तियाँ। षष्ठ सप्तक में प्रतिदिन ६-६ भक्त-पान दत्तियों का योग ४२ भिक्षादत्तियाँ। सप्तम सप्तक में प्रतिदिन ७-७ भक्त-पान दत्तियों का योग ४९ भिक्षादत्तियाँ।
इस प्रकार सातों सप्ताहों के ४९ दिनों की भिक्षादत्तियाँ १९६ होती हैं। सप्तसप्टमिका भिक्षुप्रतिमा ४९ दिन और ११६ भिक्षादत्तियों के द्वारा यथाविधि आराधित की जाती है। ___विशेष शब्दों के अर्थ : अहासुत्तं-सूत्र में बताई विधि के अनुसार। अहाकप्पं-मर्यादा अनुष्ठान के ॐ अनुसार, अहातच्चं-यथातथ्य पूर्ण रूप में, अहासम-समता भाव पूर्वक, काएणफासिया-शरीर से स्पर्श फ़ करना, पालिया-उपयोग पूर्वक पालन किया। सोहिया-अतिचारों की शुद्धि की, तीरिया-पारणे की
अवधि पूरी की, किट्टिया-कीर्तित-पारणे के दिन अभिग्रह फलित होने पर पारणा किया, आराहियासम्यक् प्रकार से आराधित किया। (हिन्दी टीका भाग-२ पृष्ठ ३६९)
Elaboration—There are twelve Bhikshu Pratimas. Out of these the Saptasaptamika Bhikshupratima is observed for seven weeks with an increasing number of additional dattis (servings) per day every week. Its order is as follows
During the first saptak or week only one datti each of food and water is taken every day. Total 7 dattis.
During the second week two dattis each of food and water is taken every day. Total 14 dattis.
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स्थानांगसूत्र (२)
(288)
Sthaananga Sutra (2)
8
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