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855555555555555555555555555555558 ॐ ५. संसार के सभी जीवों में छह कार्य करने की ऋद्धि (लब्धि) द्युति (माहात्म्य), यश, बल (शरीर + शक्ति), वीर्य (आत्म शक्ति), पुरस्कार (उत्साह) और पराक्रम (सामर्थ्य) नहीं होता है, अर्थात् निम्न छह
काम करने का सामर्थ्य किसी जीव में नहीं है-(१) जीव को अजीव करना। (२) अजीव को जीव करना। (३) एक समय में दो भाषा बोलना। (४) अपने कृत कर्म का फल अपनी इच्छानुसार भोगना।
(५) पुद्गल परमाणु का छेदन-भेदन करना या अग्नि से जलाना। (६) लोकान्त से बाहर जाना। ॐ (ये छहों असम्भव कार्य हैं)
5. All beings in the world do not have the riddhi (opulence or special powers), dyuti (radiance or majesty), yash (fame), bal (strength), virya (spiritual potency), purushakar (virility or prowess) and parakram (valour) to perform six acts-(1) to turn soul into matter, (2) to turn matter into soul, (3) to speak in two languages at the same moment, (4) to suffer the fruits of one's deeds at will, (5) to pierce or burn ultimate-particle and (6) to go beyond the edge of lok (occupied space or the universe). (All these acts are impossible.) जीव-पद JIVA-PAD (SEGMENT OF LIVING ORGANISMS)
६. छज्जीवणिकाया पण्णत्ता, तं जहा-पुटविकाइया, [ आउकाइया, तेउकाइया, वाउकाइया, वणस्सइकाइया ], तसकाइया।
६. छह जीवनिकाय हैं-(१) पृथ्वीकायिक, [(२) अप्कायिक, (३) तेजस्कायिक, (४) वायुकायिक, + (५) वनस्पतिकायिक,] (६) त्रसकायिक।
6. Bodied beings are of six kinds-(1) Prithvikayik (earth-bodied 4 beings), (2) Apkayik (water-bodied beings), (3) Tejaskayik (fire-bodied 5
beings), (4) Vayukayik (air-bodied beings), (5) Vanaspatikayik (plantbodied beings) and (5) Tras-kayik (mobile-bodied beings).;
७. छ ताराग्गहा पण्णत्ता, तं जहा-सुक्के, बुहे, बहस्सती, अंगारए, सणिच्छरे, केतू।
७. ताराग्रह छह (तारों के आकार वाले ग्रह) हैं-(१) शुक्र, (२) बुध, (३) बृहस्पति, (४) अंगारक + (मंगल), (५) शनिश्चर, (६) केतु। (नौ ग्रह मे-सूर्य, चन्द्र और राहु तीन तारों के आकार के नहीं है।)
7. There are six taragrahas (star-like planets) (1) Shukra (Venus), (2) Budh (Mercury), (3) Brihaspati (Jupiter), (4) Angarak or Mangal + (Mars), (5) Shanishchar (Saturn) and (6) Ketu. .
८. छबिहा संसारसमावण्णगा जीवा पण्णत्ता, तं जहा-पुढविकाइया, जाव, तसकाइया।
८. संसार में रहने वाले जीव छह प्रकार के हैं-(१) पृथ्वीकायिक, [(२) अप्कायिक, 卐 (३) तेजस्कायिक, (४) वायुकायिक, (५) वनस्पतिकायिक,] (६) त्रसकायिक।
卐5555555555555555555555555555555555558
स्थानांगसूत्र (२)
(222)
Sthaananga Sutra (2)
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