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குழநதமிழமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமி*********
(seniors and teachers) of kings. ( 3 ) Rajanya - Descendents of Kshatriyas who enjoyed the position of friends of kings. (4) Ikshvaku-Descendents of Bhagavan Risabhadeva. (5) Jnata-Descendents of Bhagavan Mahavir. and (6) Kaurava-Descendents of Bhagavan Shantina ath of Kuru clan. These six noble clans are related to Kshatriyas (the second caste in the traditional Hindu caste-hierarchy). (for more details see Thanam, p. 694)
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लोकस्थिति - पद LOK-STHITI PAD (SEGMENT OF STRUCTURE OF UNIVERSE)
३६. छव्विहा लोगट्ठिती पण्णत्ता, तं जहा - आगासपतिट्ठिते वाए, वातपतिट्ठिते उदही, उदधिपतिट्ठिता पुढवी, पुढविपतिट्ठिता तसा थावरा पाणा, अजीवा जीवपट्ठिता, जीवा कम्मपतिट्ठिता । ३६. लोक की स्थिति छह प्रकार की है - ( १ ) आकाश पर वात (तनुवात) प्रतिष्ठित है। (२) तनुवात पर उदधि (घनोदधि) प्रतिष्ठित है । (३) घनोदधि पर पृथिवी प्रतिष्ठित है । ( ४ ) पृथिवी स - स्थावर प्राणी प्रतिष्ठित हैं । (५) अजीव जीव पर प्रतिष्ठित है । (६) जीव कर्मों पर प्रतिष्ठित है । (लोक स्थिति का चित्र भाग - १, स्थान ३ पर देखें)
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दिशा-पद DISHA-PAD (SEGMENT OF DIRECTIONS)
३७. छद्दिसाओ पण्णत्ताओ, तं जहा - पाईणा, पडीणा, दाहिणा, उदीणा, उड्डा, अधा । ३८. छहिं दिसाहिं जीवाणं गती पवत्तति, तं जहा - पाईणाए, (पडीणाए, दाहिणाए, उदीणाए, उड्डाए), अधाए । ३९. (छर्हि दिसाहिं जीवाणं) - आगई, वक्कंती, आहारे, वुड्डी, णिवुड्डी, विगुब्वणा, गतिपरियाए, समुग्धाते, कालसंजोगे, दंसणाभिगमे, णाणाभिगमे, जीवाभिगमे अजीवाभिगमे [ पण्णत्ते, तं जहा - पाईणाए, पडीणाए, दाहिणाए, उदीणाए, उड्डाए अधाए ] ४०. एवं पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणवि, मणुस्साणवि ।
36. Lok-sthiti (structure of universe) is six tiered-(1) vayu (air) is pratishthit (installed) on akash (space), (2) udadhi or ghanodadhi (dense F water) is pratishthit (installed) on vayu, (3) prithvi ( earth) is pratishthit
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( installed) on ghanodadhi, ( 4 ) sthavar and tras pranis ( immobile and
H mobile beings) are pratishthit ( installed) on ( live on ) prithvi, ( 5 ) ajiva 5 (matter) is pratishthit (installed) on jiva (life) and (6) jiva ( living being) is pratishthit (installed on) karma. (see illustration of Lok-sthiti in F Sthananga Sutra, part - 1, Sthaan - 3 )
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३७. दिशाएँ छह हैं - (१) प्राची (पूर्व), (२) प्रतीची (पश्चिम), (३) दक्षिण, (४) उत्तर, (५) ऊर्ध्व और (६) अधोदिशा । ३८. छहों दिशाओं में जीवों की गति होती है - (१) पूर्व दिशा में, (२) पश्चिम दिशा में, (३) दक्षिण दिशा में, (४) उत्तर दिशा में, (५) ऊर्ध्व दिशा में और (६) अधोदिशा में ।
षष्ठ स्थान
(239)
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Sixth Sthaan
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