Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 291
________________ 555555555555555555555555555555555555 For a non-spiritualist to be senior in initiation or age, and to possess family including that of disciples, scriptural knowledge, austerities, gains, worship and honour are causes of ever increasing ambitions, conceit, anger, greed and attachment. Consequently he considers himself to be great and others to be lowly. Thus these excellent associations turn into causes of his fall. But for a spiritualist all these become cause of development and spiritual progress because of the fact that with increase in knowledge and austerities he becomes more and more 4 humble and generous. म आर्य-पद ARYA-PAD (SEGMENT OF ARYA) ३४. छव्विहा जाइ-आरिया मणुस्सा पण्णत्ता, तं जहा अंबट्ठा य कलंदा य, वेदेहा वेदिगादिया। हरिता चुंचुणा चेव, छप्पेता इन्भजातिओ॥१॥ संग्रहणी-गाथा ___३५. छबिहा कुलारिया मणुस्सा पण्णत्ता, तं जहा-उग्गा, भोगा, राइण्णा, इक्खागा, णाता, कोरबा। ३४. जाति से आर्यपुरुष छह प्रकार के हैं-(१) अंबष्ठ, (२) कलन्द, (३) वैदेह, (४) वैदिक, ॐ (५) हरित, (६) चुंचुण, ये छहों इभ्यजाति के मनुष्य हैं। ३५. कुल से आर्य मनुष्य छह प्रकार के है-(१) उग्र, (२) भोज, (३) राजन्य, (४) इक्ष्वाकु, ज्ञात, (६) कौरव। 34. In the context of jati Arya purush (men belonging to noble maternal lineage) are of six kinds-(1) Ambasht, (2) Kaland, (3) Videha, (4) Vaidik, (5) Harit and (6) Chunchun. All these are people of Ibhya jati (affluent families). 35. In the context of kula Arya purush (men belonging to noble ॐ paternal lineage) are of six kinds—(1) Ugra, (2) Bhoj, (3) Rajanya, (4) Ikshvaku, (5) Jnata and (6) Kaurava. E विवेचन-मातृ-पक्ष को जाति कहते हैं। जिन का मातृपक्ष निर्दोष और पवित्र होता हैं, वे पुरुष 卐 जात्यार्य कहलाते हैं। अमर-कोष के अनुसार वैश्य माता और ब्राह्मण पिता से उत्पन्न हुई सन्तान को फ़ अम्बष्ठ, तथा ब्राह्मणी माता और वैश्य पिता से उत्पन्न हुई सन्तान वैदेह कहलाती है। चुंचुण का कोषों में 5 * कोई उल्लेख नहीं है, यदि इसके स्थान पर कुंकुण पद की कल्पना की जावे तो ये कोंकण देशवासी जाति म के हैं, जिनमें मातृपक्ष की आज भी प्रधानता है। कलंद और हरित जाति भी मातृपक्ष प्रधान रही है। के मातृपक्ष की प्रधानता संतति में विनीतता और लज्जालुता तथा पितृपक्ष की प्रधानता वीरता व बुद्धिमत्ता के प्रकट करती है। 85555555555555555)))))))))))55555555555555558 षष्ठ स्थान (237) Sixth Sthaan Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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