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55555555555555555555555555 वक्षस्कारपर्वत-पद VAKSHASKAR PARVAT-PAD
(SEGMENT OF VAKSHASKAR MOUNTAINS) १५६. सब्वेवि णं वक्खारपव्वया सीया-सीओयाओ महाणईओ मंदरं वा पचतं पंच # जोयणसताई उड्डं उच्चत्तेण, पंचगाउसताइं उव्वेहेणं।
१५६. सभी (उक्त) वक्षस्कारपर्वत सीता-सीतोदा महानदी तथा मन्दर पर्वत की दिशा में पाँच सौ # योजन ऊँचे और पाँच सौ कोश गहरी नींव वाले हैं। fi 156. All the aforesaid Vakshaskar mountains, in the directions of Sita
Sitoda great rivers and Mandar mountain, are five hundred Yojans high and five hundred Yojans deep in the ground. धातकीपंड-पुष्करवर-पद DHATKIKHAND-PUSHKARAVAR-PAD
१५७. धायइसंडे दीवे पुरथिमद्धे णं मंदरस्स पव्वयस्स पुरित्थमे णं सीयाए महाणदीए उत्तरे णं A पंच वक्खारपब्बता पण्णत्ता, तं जहा-मालवंते, एवं जहा जंबुद्दीवे तहा जाव पुक्खरवरदीवर्ल्ड म पच्चत्थिमद्धे वक्खारपव्वया दहा य उच्चत्तं भाणियब्वं।
१५७. धातकीषण्ड द्वीप के पूर्वार्ध में मन्दर पर्वत के पूर्व में तथ सीता महानदी के उत्तर में पाँच । वक्षस्कारपर्वत हैं-(१) माल्यवान, (२) चित्रकूट, (३) पक्ष्मकूट, (४) नलिनकूट, (५) एकशैल। - इसी प्रकार धातकीषण्ड द्वीप के पश्चिमार्ध में तथा अर्धपुष्करवरद्वीप के पूर्वार्ध और पश्चिमार्ध में
भी जम्बूद्वीप के समान पाँच-पाँच वक्षस्कारपर्वत, महानदियाँ-सम्बन्धी द्रह और वक्षस्कार पर्वतों की है ऊँचाई-गहराई कहना चाहिए।
157. In the eastern half of Dhatkikhand Dveep, to the east of Mandar mountain there are five Vakshaskar mountains to the north of Sita great river. They are--(1) Malyavan, (2) Chitrakoot, (3) Padmakoot, (4) Nalinakoot and (5) Ekashailakoot.
In the same way in the western half of Dhatkikhand Dveep and eastern and western halves of Ardhapushkaravar Dveep, five Vakshaskar mountains each, great lakes connected with great rivers and height and depth of mountains should be read like those in Jambu Dveep.
Lucruri
समयक्षेत्र-पद SAMAYAKSHETRA-PAD (SEGMENT OF SAMAYAKSHETRA)
१५८. समयक्खेत्ते णं पंच भरहाई, पंच एरवताई, एवं जहा चउट्ठाणे बितीयउद्देसे तहा एत्थवि भाणियव्वं जाव पंच मंदरा पंच मंदरचूलियाओ, णवरं-उसुयारा णत्थि।
१५८. समयक्षेत्र (अढ़ाई द्वीपों) में पाँच भरत, पाँच ऐरवत क्षेत्र हैं। इसी प्रकार जैसे चतुःस्थान के द्वितीय उद्देशक में जिन-जिनका वर्णन है, वह यहाँ भी कहना चाहिए। यावत् पाँच मन्दर, पाँच मंदर चूलिकाएँ समयक्षेत्र में हैं। विशेष यह है कि वहाँ इषुकार पर्वत नहीं है।
पंचम स्थान : द्वितीय उद्देशक
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Fifth Sthaan : Second Lesson
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