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विवेचन - यद्यपि निर्ग्रन्थ को निर्ग्रन्थी का स्पर्श करने का सर्वथा निषेध है, तथापि जिन परिस्थिति - विशेष में वह निर्ग्रन्थी का हाथ आदि पकड़ कर उसको सहारा दे सकता है या उसकी और 5 उसके संयम की रक्षा कर सकता है, तदनुसार कार्य करते हुए वह जिन-3 - आज्ञा का उल्लंघन नहीं करता है। निर्ग्रन्थीको सर्वाङ्ग से पकड़ना ग्रहण और हाथ से पकड़ कर सहारा देना अवलम्बन कहलाता है।
जहाँ कठिनाई से जाया जा सके ऐसे दुर्गम प्रदेश को दुर्ग कहते हैं। पैर का फिसलना, या फिसलते 5 फ हुए भूमि पर हाथ-घुटने टेकना प्रस्खलन है और भूमि पर धड़ाम से गिर पड़ना प्रपतन है ।
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5*5*த****************************மிழில்
(५) उपसर्गप्राप्त - देव, मनुष्य या तिर्यंच कृत उपद्रव से पीड़ित । (६) साधिकरणा - कलह करती हुई या
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5 लड़ने के लिए उद्यत। (७) सप्रायश्चित्त- प्रायश्चित्त के भय से पीड़ित या डरी हुई।
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(८) भक्त - पान - प्रत्याख्यात - जीवन भर के लिए अशन-पान का त्याग करने से दुर्बल हुई मार्ग में कहीं
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गिरती हो, मूर्च्छा आ गई हो तो । ( ९ ) अर्थजात - अर्थ - (प्रयोजन - ) विशेष से, अथवा धनादि के लिए
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5 पति या चोर आदि के द्वारा संयम से चलायमान की जाती हुई ।
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compromising her modesty). Under these conditions he does not defy the word of Bhagavan.
उपर्युक्त सभी दशाओं में निर्ग्रन्थी की रक्षार्थ निर्ग्रन्थ उसे ग्रहण या अवलम्बन देते हुए जिन आज्ञा
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फ का अतिक्रमण नहीं करता है। (वृत्ति भाग २ पृष्ठ ५६२-६३)
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क्षिप्तचित्त आदि का अर्थ इस प्रकार है- ( १ ) क्षिप्तचित्त - राग, भय या अपमानादि से जिसका चित्त विक्षिप्त हो । (२) दृप्तचित्त - सन्मान, लाभ, ऐश्वर्य आदि मद से या दुर्जय शत्रु को जीतने से जिसका चित्त दर्प को प्राप्त हो । ( ३ ) यक्षाविष्ट - पूर्वभव के वैर से, या रागादि से यक्ष के द्वारा आक्रांत हुई । (४) उन्मादप्राप्त- पित्त - विकार से उन्मत्त या पागल (देव प्रकोप से अथवा रूप आदि के मोह वश) ।
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Elaboration-A male ascetic is not at all allowed to touch a female ascetic. However, he can hold her hand and offer support or protect her and her modesty under special circumstances. He does not defy the word
of Tirthankar if he acts strictly according to the said code.
To hold the body of a female ascetic is called grahan and to support her by holding her hand is called alamban.
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A difficult or rugged terrain is called durg. Slipping of feet or to touch knees or hands to the ground on slipping is called praskhalan. To fall on the ground is prapatan.
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Other terms are explained as follows
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Kshipt-chitt-gone crazy due to attachment, fear, insult or other such फ sentiment. Dript-chitt-euphoric due to conceit of honour, gains, 卐 grandeur, or conquering a strong enemy. Yakshavisht-possessed or afflicted by yaksha or other spirits due to animosity or attachment from earlier births. Unmaad prapt-mentally deranged due to disturbed body
स्थानांगसूत्र (२)
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Sthaananga Sutra (2)
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