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Elaboration-All beings up to the twelfth Gunasthaan who are in bondage of knowledge and perception obscuring karmas are called chhadmasth. A chhadmasth being cannot see and know fully all the alternative transformations of the four formless agglomerate entities. He can see the moving beings but cannot see a soul free of body. The first four are formless entities. Matter has form but a single ultimate particle is so minute that it is beyond the scope of perception and knowledge of a chhadmasth.
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महानरक- पद MAHANARAK-PAD (SEGMENT OF WORST HELLS )
१९६. अधेलोगे णं पंच अणुत्तरा महतिमहालया महानरगा पण्णत्ता, तं जहा - काले, महाकाले, रोरुए, महारोरुए, अप्पतिट्ठाणे ।
१९६. अधोलोक में पाँच अनुत्तर महातिमहान् महानरक हैं - ( १ ) काल, (२) महाकाल, (३) रौरुक, (४) महारौरुक और (५) अप्रतिष्ठान ।
196. In adholok (lower world) there are five matchless mahatimahan (grotesque) naraks (hells) – ( 1 ) Kaal, (2) Mahakaal, (3) Rauruk, (4) Maharauruk and (5) Apratishthan.
महाविमान - पद MAHAVIMAAN PAD (SEGMENT OF GREAT CELESTIAL VEHICLES)
१९७. उड्डलोगे णं पंच अणुत्तरा महतिमहालया महाविमाणा पण्णत्ता, तं जहा - विजये, वेजयंते, जयंते, अपराजिते, सव्वट्टसिद्धे ।
१९७. ऊर्ध्वलोक में पाँच अनुत्तर महातिमहान् महाविमान हैं - ( १ ) विजय, (२) वैजयन्त, (३) जयन्त, (४) अपराजित और (५) सर्वार्थसिद्धि ।
197. In urdhvalok (upper world) there are five anuttar (matchless ) mahatimahan (extremely grand) mahavimaans (great celestial vehicles or divine realms)-(1) Vijaya, (2) Vaijayant, (3) Jayant, (4) Aparajit and (5) Sarvarthasiddha.
विवेचन - सूत्रोक्त अधोलोकवर्ती पाँचों नरकावास सातवीं नरक में हैं। उन्हें अनुत्तर और महातिमहान कहने का अभिप्राय यह है, कि यहीं सबसे अधिक वेदना है। सबसे अधिक लम्बा आयुष्य है और क्षेत्र फ की दृष्टि से भी सबसे अधिक विशाल है । अनुत्तर विमान स्वर्ग विमानों में दिव्य सुखों की अपेक्षा तथा फ्र दीर्घ आयुष्य की अपेक्षा सबसे अनुत्तर - श्रेष्ठ है। क्षेत्र की दृष्टि से सबसे विशाल है। ये पाँचों महाविमान 卐 वैमानिक लोक के सबसे ऊपर के भाग में हैं । (हिन्दी टीका भाग- २ पृष्ठ २०० )
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Elaboration-The aforesaid five infernal abodes are in seventh hell. They are called worse than worst because they have maximum agony, maximum life span and largest area. The Anuttar vimaans are superlative in terms of divine pleasures, long life span and area. All
पंचम स्थान : तृतीय उद्देशक
(197)
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Fifth Sthaan: Third Lesson
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