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माग
friend, (3) someone is non-friend but appears to be friend and (4) someone is non-friend and also appears to be a non-friend.
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मागमा
LE LEPIE
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नानामा
# मुक्त-अमुक्त-पद MUKTA-AMUKTA-PAD (SEGMENT OF LIBERATED AND NON-LIBERATED) ।
६१२. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-मुत्ते णाममेगे मुत्ते, मुत्ते णाममेगे अमुत्ते, अमुत्ते णाममेगे मुत्ते, अमुत्ते णाममेगे अमुत्ते।
६१२. पुरुष चार प्रकार के हैं-(१) कोई पुरुष द्रव्य से भी मुक्त होता है और भाव से भी मुक्त # होता है। (२) कोई द्रव्य से मुक्त, किन्तु भाव से मुक्त नहीं होता। (३) कोई द्रव्य से अमुक्त, किन्तु भाव ' से मुक्त होता है। (४) कोई न द्रव्य से ही मुक्त होता है और न भाव से मुक्त होता है।
612. Purush (men) are of four kinds--(1) some person is liberated physically and also liberated mentally, (2) some person is liberated F physically but not liberated mentally, (3) some person is not liberated
physically but liberated mentally and (4) some person is not liberated physically and also not liberated mentally. __विवेचन-द्रव्य से मुक्त में परिग्रह एवं परिवार से मुक्त तथा भाव से मुक्त में आसक्ति, मूर्छा आदि से मुक्त समझना चाहिए। इसके प्रथम भंग में श्रमण, दूसरे भंग में दरिद्र या भिक्षु वेषधारी, तीसरे भंग में भरत चक्रवर्ती जैसे और चौथे भंग में सामान्य गृहस्थ समझना चाहिए।
Elaboration Liberated physically means liberated from possessions and family ties. Liberated mentally means liberated from cravings, obsessions and other such mental perversions. The four alternatives mentioned here point at ascetic, destitute or beggar, Bharat Chakravarti and ordinary householder respectively.
६१३. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-मुत्ते णाममेगे मुत्तरूवे, मुत्ते णाममेगे अमुत्तरूवे, अमुत्ते णाममेगे मुत्तरूवे, अमुत्ते णाममेगे अमुत्तरूवे।
६१३. पुरुष चार प्रकार के हैं-(१) मुक्त और मुक्तरूप-कोई पुरुष परिग्रहादि से मुक्त होता है और बाह्य स्वरूप से भी मुक्त जैसा होता है। जैसे-साधना व ध्यान निष्ठ श्रमण (२) कोई परिग्रहादि से मुक्त होता है, किन्तु बाह्यरूप से अमुक्त के समान होता है। जैसे गृहस्थ-दशा में महावीर स्वामी आदि। (३) कोई परिग्रहादि से मुक्त नहीं, किन्तु बाह्य रूप में मुक्त के समान होता है। जैसे धूर्त साधु आदि। (४) कोई न परिग्रहादि से मुक्त है और न ही बाह्यरूप में मुक्त जैसा होता है। जैसे सामान्य गृहस्थ
613. Purush (men) are of four kinds—(1) some person is liberated from desire of possessions etc. and also appears to be liberated (an ascetic involved in spiritual practices), (2) some person is liberated from desire of possessions etc. but does not appear to be liberated (people like Bhagavan Mahavir as householder), (3) some person is not liberated
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चतुर्थ स्थान : चतुर्थ उद्देशक
(69)
Fourth Sthaan : Fourth Lesson
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