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Elaboration An ascetic accepts two kinds of things-(1) Apratiharik or not to be returned, such as garb, bowls, food and blanket. Pratiharik or returnable, such as patta (bench), falak (plank), shayya (bed) and samstarak (bed of hay).
(Qoting verses from Nisheeth Bhashya the commentator (Vritti) has listed many more faults of entering antah-pur. (Vritti, part-2, p. 537)] गर्भ-धारण-पद GARBH-DHARAN-PAD (SEGMENT OF CONCEPTION)
१०३. पंचहिं ठाणेहिं इत्थी पुरिसेण सद्धिं असंवसमाणीवि गभं धरेज्जा, तं जहा
(१) इत्थी दुब्बियडा दुण्णिसण्णा सुक्कपोग्गले अधिट्ठिज्जा। (२) सुक्कपोग्गलसंसिद्वेव से वत्थे अंतो जोणीए अणुपवेसेज्जा। (३) सई वा से सुक्कपोग्गले अणुपवेसेज्जा। (४) परो व से सुक्कपोग्गले अणुपवेसेज्जा। (५) सीओदगवियडेण वा से आयममाणीए सुक्कपोग्गला अणुपवेसेज्जा।
इच्चेतेहिं पंचहिं ठाणेहिं (इत्थी पुरिसेण सद्धिं असंवसमाणीवि गभं) धरेज्जा।
१०३. पाँच कारणों से स्त्री पुरुष के साथ संवास नहीं करती हुई भी गर्भ को धारण कर सव ती है। . जैसे-(१) अनावृत (नग्न) और दुर्निषण्ण (विवृत योनिमुख) रूप से बैठी हो, अर्थात् पुरुष-वीर्य से संसृष्ट स्थान पर बैठी हुई स्त्री द्वारा शुक्र-पुद्गलों को आकर्षित कर लेने पर। (२) शुक्र-पुद्गलों से संसृष्ट वस्त्र स्त्री की योनि में प्रविष्ट हो जाने पर। (३) स्त्री स्वयं ही शुक्र-पुद्गलों को योनि में प्रविष्ट कर लें तो। (४) दूसरा कोई शुक्र-पुद्गलों को उसकी योनि में प्रविष्ट कर दें तो। (५) नदी-तालाब आदि में स्नान करती हुई स्त्री की योनि में यदि (बहकर आये) शुक्र-पुद्गल प्रवेश कर जावें तो।
इन पाँच कारणों से स्त्री पुरुष के साथ संवास नहीं करती हुई भी गर्भ धारण कर सकती है।
103. For five reasons a woman can conceive even without having an intercourse with a man-(1) If she is sitting anavrat (naked) and durnishanna (with open vagina) (at a spot soiled with male semen) and draws in semen molecules. (2) If a piece of cloth wet with male semen enters her vagina. (3) If she herself puts semen molecules into her vagina. (4) If some other person pushes semen molecules into her vagina. (5) If floating semen enters her vagina while she is taking her bath in a river or pond.
विवेचन-प्रस्तुत आगम वचन अनुसार शुक्र पुद्गलों के स्त्री-योनि में प्रविष्ट होने पर ही गर्भ धारण होता है, भले ही वह किसी अन्य कृत्रिम या प्रासंगिक साधन से हो। वर्तमान में पशुओं के कृत्रिम गर्भाधान की प्रणाली इसी आधार पर विकसित की गई है।
प्रस्तुत सूत्र के प्रथम कारण को ध्यान में रखकर ही आगमों में स्थान-स्थान पर ऐसे उल्लेख किए गये हैं कि जहाँ स्त्रियाँ बैठी हों, उस स्थान पर मुनि को तथा जहाँ पुरुष बैठे हों उस स्थान पर साध्वी
8595)4555555555555555555555555555555555555555555555
पंचम स्थान : द्वितीय उद्देशक
(145)
Fifth Sthaan : Second Lesson
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