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F १०८. पंचर्हि ठाणेहिं समणे णिग्गंथे अचेलए सचेलियाहिं णिग्गंथीहि सद्धिं संवसमाणे 5 णातिक्कमति, तं जहा
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(१) खित्तचित्ते समणे णिग्गंथे णिग्गंथेहिमविज्जमाणेहिं अचेलए सचेलियाहिं णिग्गंथीहिं सद्धिं संवसमाणे णातिक्कमति । ( २ ) [ दित्तचित्ते समणे णिग्गंथे णिग्गंथेहिमविज्जमाणेहिं अचेलए 5 5 सचेलियाहिं णिग्गंथीहिं सद्धिं संवसमाणे णातिक्कमति । (३) जक्खाइट्ठे समणे णिग्गंथे
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5 णिग्गंथेहिमविज्जमाणेहिं अचेलए सचेलियाहिं णिग्गंथीहिं सद्धिं संवसमाणे णातिक्कमति । (४) उम्मायपत्ते समणे णिग्गंथे णिग्गंथेहिमविज्जमाणेहिं अचेलए सचेलियाहिं णिग्गंथीहिं सद्धिं संवसमाणे णातिक्कमति । ] (५) णिग्गंथीपव्वाइयए समणे णिग्गंथेहिं अविज्जमाणेहिं अचेलिए 5 सचेलियाहिं णिग्गंथीहिं सद्धिं संवसमाणे णातिक्कमति ।
१०८. पाँच कारणों से अचेलक (निर्वस्त्र) श्रमण निर्ग्रन्थ सचेलक निर्ग्रन्थियों के साथ रहता हुआ भगवान की आज्ञा का अतिक्रमण नहीं करता है, जैसे- (१) शोक आदि से विक्षिप्तचित्त कोई अचेलक श्रमण निर्ग्रन्थ अन्य निर्ग्रन्थों के नहीं होने पर सचेलक निर्ग्रन्थियों के साथ रहता हुआ । [ (२) हर्षातिरेक 5 (हर्ष के आवेग से) दृप्तचित्त कोई अचेलक श्रमण निर्ग्रन्थ अन्य निर्ग्रन्थों के नहीं होने पर सचेल निर्ग्रन्थियों के साथ रहता हुआ। (३) यक्षाविष्ट कोई अचेलक श्रमण निर्ग्रन्थ अन्य निर्ग्रन्थों के नहीं होने
108. An achelak (nude) shraman nirgranth (male ascetic) does not defy the order of Tirthankars if he lives with sachelak (dressed) nirgranthis (female ascetics) for five reasons--(1) If he is in a mentally deranged state (vikshipt chitta) due to grief and company of another nude or suchlike ascetic is not available. [(2) If he is in a delirius state F (dript chitt) due to euphoria and company of another nude or other Я ascetic is not available. (3) If he is possessed by some evil spirit (yakshavisht) and company of another nude or other ascetic is not available. (4) If he has gone crazy due to disturbed humour and company of another nude or non-nude ascetic is not available. (5) If he has been initiated by female ascetics and company of another nude or ordinary ascetic is not available.
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पर सचेल निर्ग्रन्थियों के साथ रहता हुआ । (४) वायु के प्रकोपादि से उन्माद को प्राप्त कोई अचेलक फ श्रमण निर्ग्रन्थ अन्य निर्ग्रन्थों के नहीं होने पर सचेल निर्ग्रन्थियों के साथ रहता हुआ । ] ( ५ ) निर्ग्रन्थियों द्वारा प्रव्रजित (दीक्षित) अचेलक श्रमण निर्ग्रन्थ अन्य निर्ग्रन्थों के नहीं होने पर सचेल निर्ग्रन्थियों के 5 साथ रहता हुआ, भगवान की आज्ञा का अतिक्रमण नहीं करता है।
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आस्रव संवर - पद ASRAVA SAMVAR-PAD
(SEGMENT OF INFLOW AND BLOCKAGE OF KARMAS)
१०९. पंच आसवदारा पण्णत्ता, तं जहा-मिच्छत्तं, अविरती, पमादो, कसाया,
पंचम स्थान: द्वितीय उद्देशक
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जोगा ।
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Fifth Sthaan: Second Lesson
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