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8555555555 555555555555555555558 % 117. Kriyas (activities) are of five kinds—(1) arambhiki kriya, 41 (2) paarigrahiki kriya, (3) mayapratyaya kriya, (4) apratyakhyan kriya and
(5) mithyadarshan pratyaya kriya. 118. In the same way all dandaks (places of suffering) from naaraki jivas up to Vaimuniks have these five kriyas.
११९. पंच किरियाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-दिट्ठिया, पुट्ठिया, पाडुच्चिया, सामंतोवणिवाइया, साहत्थिया। १२०. एवं णेरइयाणं जाव वेमाणियाणं।
११९. पाँच क्रियाएँ हैं-(१) दृष्टिजा क्रिया, (२) पृष्टिजा क्रिया, (३) प्रातीत्यिकी क्रिया, (४) सामन्तोपनिपातिकी क्रिया, (५) स्वाहस्तिकी क्रिया। १२०. नारकी जीवों से लेकर वैमानिक तक सभी दण्डकों में ये पाँच क्रियाएँ जाननी चाहिए।
119. Kriyas (activities) are of five kinds—(1) drishtija kriya (activity due to seeing), (2) prishtija kriya (due to touch), (3) praateetyiki kriya,
(4) saamantopanipatiki kriya and (5) svaahastiki kriya. 120. In the same 5 way all dandaks (places of suffering) from naaraki jivas up to Vaimaniks ' have these five kriyas.
१२१. पंच किरियाओ, तं जहा-णेसत्थिया, आणवणिया, वेयारिणया, अणाभोगवत्तिया, 卐 अणवकंखवत्तिया। एवं जाव वेमाणियाणं।
१२१. पाँच क्रियाएँ हैं-(१) नैसृष्टिकी क्रिया, (२) आज्ञापनिकी क्रिया, (३) वैदारणिका क्रिया, 卐 (४) अनाभोगप्रत्यया क्रिया, (५) अनवकांक्षप्रत्यया क्रिया। नारकों से लेकर वैमानिकों तक सभी दण्डकों + में ये पाँच क्रियाएँ जाननी चाहिए। 4 121. Kriyas (activities) are of five kinds—(1) naisrishtiki kriya,
(2) ajnapaniki kriya, (3) viadarniki kriya, (4) anaabhog pratyaya kriya
and (5) anavakanksha pratyaya kriya. All dandaks (places of sufferin 5 from naaraki jivas up to Vaimaniks have these five kriyas.
१२२. पंच किरियाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-पेज्जवत्तिया, दोसवत्तिया, पओगकिरिया, ॐ समुदाणकिरिया, ईरियावहिया। एवं-मणुस्साणवि। सेसाणं णत्थि।
१२२. पाँच क्रियाएँ हैं-(१) प्रेयस्प्रत्यया क्रिया, (२) द्वेषप्रत्यया क्रिया, (३) प्रयोग क्रिया, म (४) समुदान क्रिया, (५) ईर्यापथिकी क्रिया।
ये पाँचों क्रियाएँ मनुष्यों में ही होती हैं, शेष दण्डकों में नहीं होती। (क्योंकि उनमें ईर्यापथिकी क्रिया म सम्भव नहीं है, वह वीतरागी ग्यारहवें, बारहवें और तेरहवें गुणस्थान वाले मनुष्यों के ही होती है।)
122. Kriyas (activities) are of five kinds-(1) preyaspratyaya kriya, 卐 (2) dvesh-pratyaya kriya, (3) prayog kriya, (4) samudaan kriya and ॥ 4. (5) iryapathiki kriya.
स्थानांगसूत्र (२)
(164)
Sthaananga Sutra (2)
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