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* आर्जवस्थान-पद ARJAVA-STHAAN-PAD (SEGMENT OF PURITY) म ५१. पंच अज्जवट्ठाणा पण्णत्ता, तं जहा-साधुअज्जवं, साधुमद्दवं, साधुलाघवं, साधुखंती, ॐ साधुमुत्ती।
५१. पाँच आर्जव स्थान कहे हैं-(१) साधु आर्जव-मायाचार का सर्वथा निग्रह करना। (२) साधु ॐ मार्दव-अभिमान का सर्वथा निग्रह करना। (३) साधु लाघव-गौरव का सर्वथा निग्रह करना। (४) साधु 卐क्षान्ति-क्रोध का सर्वथा निग्रह करना। (५) साधु मुक्ति-लोभ का सर्वथा निग्रह करना।
51. There are five sthaans (methods) of arjava (purity of mind)(1) sadhu arjava-complete control over deception, (2) sadhu mardavacomplete control over conceit, (3) sadhu laghav-complete control over exhibitionism, (4) sadhu kshanti-complete control over anger and (5) sadhu mukti—complete control over greed.
विवेचन-प्रस्तुत सूत्र में आर्जव का प्रतीकात्मक अर्थ अशुभ कर्मों का निरोधरूप संवर है। संवर उसी
को होता है जो सम्यग्दर्शन पूर्वक क्रिया करता है। अतः साधु आर्जव आदि का अर्थ होता है सम्यग् ज्ञान ॐ पूर्वक ऋजुता आदि का आचरण करना व कषायों को जीतना।
Elaboration-In this aphorism arjava conveys the meaning of samvar (blockage of inflow of karmas. Samvar can only be achieved by a person who acts righteously. Therefore, arjava and other terms signify the conduct of simplicity (etc.) followed with right knowledge. weifaran-6 JYOTISHK-PAD (SEGMENT OF STELLAR GODS)
५२. पंचविहा जोइसिया पण्णत्ता, तं जहा-चंदा, सूरा, गहा, णक्खत्ता, ताराओ। ___ ५२. ज्योतिष्क देव पाँच प्रकार के हैं-(१) चन्द्र, (२) सूर्य, (३) ग्रह (मंगल आदि ग्रह), (४) नक्षत्र, (अश्विनी भरणी आदि), (५) तारा।
52. Jyotishk deva (stellar gods) are of five kinds——(1) Chandra (the moon), (2) Surya (the sun), (3) Graha (planets like Mars), (4) Nakshatra (constellations like Ashivini) and (5) Tara (stars). देव-पद DEVA-PAD (SEGMENT OF GODS)
५३. पंचविहा देवा पण्णत्ता, तं जहा-भवियदव्वदेवा, णरदेवा, धम्मदेवा, देवाहिदेवा, भावदेवा।
५३. देव पाँच प्रकार के हैं। (१) भव्य-द्रव्य देव-भविष्य में होने वाला देव। (२) नरदेव-राजा, | महाराजा चक्रवर्ती आदि। (३) धर्मदेव-आचार्य, उपाध्याय आदि। (४) देवाधिदेव-अर्हन्त तीर्थंकर। (५) भावदेव देव-पर्याय में वर्तमान देव।
53. Deva (gods) are of five kinds (1) Bhavya-dravya deva-those destined to be gods, (2) nara deva-kings, emperors and other rulers,
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स्थानांगसूत्र (२)
(114)
Sthaananga Sutra (2)
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