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भवति। (३) आयरियउवज्झाए णं गणंसि जे सुत्तपज्जवजाते धारेति ते काले-काले सम्म अणुपवाइत्ता भवति। (४) आयरियउवज्झाए गणंसि गिलाणसेहवेयावच्चं सम्मं अन्भुद्वित्ता भवति। (५) आयरियउवज्झाए गणंसि आपुच्छियचारी यावि भवति, णो अणापुच्छियचारी।
४९. आचार्य और उपाध्याय के लिए गण में पाँच अव्युद्-ग्रहस्थान (कलह न होने के कारण) हैं(१) आचार्य और उपाध्याय गण में आज्ञा तथा धारणा का सम्यक् प्रयोग करें। (२) आचार्य और उपाध्याय गण में यथारानिक कृतिकर्म (बड़ों का वन्दना व्यवहार आदि) का प्रयोग करें। (३) आचार्य
और उपाध्याय जिन-जिन सूत्र-पर्यवजातों को धारण करते हैं, उनकी यथासमय गण को सम्यक् ॥ वाचना दें। (४) आचार्य और उपाध्याय गण में रोगी तथा नवदीक्षित साधुओं की वैयावृत्त्य कराने के म लिए सम्यक् प्रकार से सावधान रहें। (५) आचार्य और उपाध्याय गण को पूछकर अन्यत्र विहार करें, बिना पछे न करें। उक्त पाँच स्थानों का पालन करने वाले आचार्य या उपाध्याय के गण में कभी कलह उत्पन्न नहीं होता है।
49. For an acharya or upadhyaya there are five avyudgrahasthaans (causes of indispute or harmony) (1) Acharya or upadhyaya proper asserts his command (ajna and dharana). (2) Acharya or upadhye ya properly instructs about and implement yatharatnik kritikarma (codes of protocol and conduct). (3) Acharya or upadhyaya properly recites and teaches the sutra paryavajat (meaning and interpretations of sutras) he has mastered. (4) Acharya or upadhyaya makes proper arrangements for care of neo-initates and ailing ascetics. (5) Acharya or upadhyaya informs the gana (group) before leaving for other places. There is never a strife in the gana of the acharya or upadhyaya who observes these five sthaans. निषद्या-पद NISHADYA-PAD (SEGMENT OF METHOD OF SITTING)
५०. पंच णिसिज्जाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-उक्कुडुया, गोदोहिया, समपायपुता, पसियंका, अद्धपलियंका।
५०. निषद्या (आसन अथवा बैठने की विधि) पाँच प्रकार की है-(१) उत्कुटुका-उत्कुटासन सै बैठना (उकडू बैठना)। (२) गोदोहिका-गाय को दुहने के आसन से बैठना। (३) समपाद-पुता-दोनों पैरों और पुतों (पुट्ठों) से भूमि का स्पर्श करके बैठना। (४) पर्यंका-पद्मासन से बैठना। (५) अर्ध-पर्यंका-अर्धपद्मासन से बैठना।
50. Nishadya (method of sitting) is of five kinds—(1) Utkatuka—to sit in utkatuka (squatting) posture. (2) Godohika-to sit in a posture resembling that taken when milking a cow. (3) Samapada-puta-to sit with hump and feet touching the ground. (4) Paryanka-to sit in lotus pose. (5) Ardha-paryanka-to sit in half-lotus pose.
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| पंचम स्थान : प्रथम उद्देशक
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Fifth Sthaan : First Lesson
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