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சுததமி*****மித*********************
forbearance (titiksha) and forgiveness (kshama) and remain unmoved I will singularly shed karmas (karma nirjara).
७५. हेतु पाँच हैं - (१) हेतु को (सम्यक् ) नहीं जानता है । (२) हेतु को (सम्यक् ) नहीं देखता है। (३) हेतु को (सम्यक्) नहीं समझता है - श्रद्धा नहीं करता है । (४) हेतु को प्राप्त - (सम्यक् रूप से ग्रहण) नहीं करता है । (५) हेतु - पूर्वक अज्ञानमरण से मरता है । ७६. हेतु पाँच हैं - (१) हेतु से असम्यक् जानता है। (२) हेतु से असम्यक् देखता है । (३) हेतु से असम्यक् समझता है, असम्यक् श्रद्धा करता है। (४) हेतु से असम्यक् प्राप्त करता है। (५) सहेतुक अज्ञानमरण से मरता है।
For these five reasons a Kevali properly and resolutely endures the precipitated afflictions and torments with forbearance and forgiveness 卐 remaining unmoved.
विवेचन - वृत्तिकार के अनुसार यहाँ केवली शब्द से श्रुत केवली, अवधिज्ञानी, मनः पर्यवज्ञानी और केवल ज्ञानी सभी अभीष्ट हैं। वे इन पाँच कारणों में से किसी एक कारण से परीषहोपसर्ग सहन करते हैं। पाँचों कारण एक साथ कभी उपस्थित नहीं होते । ( हिन्दी टीका भाग - २ पृष्ठ ७४)
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Elaboration-According to the author of the Vritti the term Kevali here 5 includes Shrut Kevali, Avadhi jnani, Manahparyav jnani and Keval jnani. The endure afflictions caused due to any one of these five reasons. All the five reasons are never effective at once. (Hindi Tika, part-2, p. 74) हेतु - पद HETU PAD (SEGMENT OF CAUSE)
७५. पंच हेऊ पण्णत्ता, तं जहा - हेउं ण जाणति, हेउं ण पासति, हेउं ण बुज्झति, हे णाभिगच्छति, हेउं अण्णाणमरणं मरति । ७६. पंच हेऊ पण्णत्ता, तं जहा - उणा ण जाणति, जाव (हिउणा ण पासति, हेउणा ण बुज्झति, हेउणा णाभिगच्छति), हेउणा अण्णाणमरणं मरति
७७. पंच हेऊ पण्णत्ता, तं जहा - हेउं जाणइ, जाव (हिउं पासइ,
अभिगच्छइ), हेउं छउमत्थमरणं मरति । ७८. पंच हेऊ पण्णत्ता, तं जहा - हेउणा जाणइ जाव (हिउणा पासइ, हेउणा बुज्झइ, हेउणा अभिगच्छइ), हेउणा छउमत्थमरणं मरइ ।
पंचम स्थान : प्रथम उद्देशक
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75. Hetu (cause / one who knows cause) is of five kinds -- ( 1 ) does not (properly) know hetu (the cause ), ( 2 ) does not (properly) see hetu (the cause), (3) does not have (proper ) faith on hetu, ( 4 ) does not (properly ) 5 accept hetu and (5) embraces death of an ignorant with hetu 76. Hetu 5 (cause/one who knows cause) is of five kinds - ( 1 ) does not (properly) 5 know through hetu, ( 2 ) does not (properly) see through hetu,
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not have (proper ) faith or understand through hetu, (4) does not (properly) accept through hetu and (5) embraces death of an ignorant through hetu.
(3) does
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हे ं बुज्झइ, हेउं
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Fifth Sthaan: First Lesson
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