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पंचम स्थान : द्वितीय उद्देशक FIFTH STHAAN (Place Number Five) : SECOND LESSON
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महानदी-उत्तरण-पद MAHANADI-UTTARAN-PAD
(SEGMENT OF CROSSING GREAT RIVERS) ९८. णो कप्पइ णिग्गंथाण वा णिग्गंथीण वा इमाओ उद्दिवाओ गणियाओ वियंजियाओ पंच महण्णवाओ महाणदीओ अंतो मासस्स दुक्खुत्तो वा तिक्खुत्तो वा उत्तरित्तए वा संतरित्तए वा, तं जहा-गंगा, जउणा, सरउ, एरवती, मही।
पंचहिं ठाणेहिं कप्पति, तं जहा-(१) भयंसि वा, (२) दुभिक्खंसि वा, (३) पव्यहेज्ज वा णं फ़ कोई, (४) दओघंसि वा एज्जमाणंसि महता वा, (५) अणारिएसु।
९८. निर्ग्रन्थ और निर्ग्रन्थियों को महानदी के रूप में कही गई, गिनी गई, प्रसिद्ध और बहुत + जलवाली (१) गंगा, (२) यमुना, (३) सरयू, (४) ऐरावती (रावी), (५) मही। ये पाँच महानदियाँ एक मास के भीतर दो बार या तीन बार से अधिक उतरना या नौका से पार करना नहीं कल्पता है
किन्तु इन पाँच कारणों से इन महानदियों का उतरना या नौका से पार करना कल्पता है(१) शरीर व उपकरण आदि के अपहरण का भय होने पर। (२) दुर्भिक्ष होने पर। (३) किसी द्वारा
उत्पीडित या नदी में प्रवाहित किये जाने पर। (४) बाढ़ आ जाने पर। (५) अनार्य पुरुषों द्वारा उपद्रव ॥ फ़ किये जाने पर।
98. Nirgranth and nirgranthis (male and female ascetics) are not 4 allowed to cross (on boat or otherwise) five great rivers more than two or
three times in a month. These five rivers with great flow of water and called, counted, and famous as mahanadis (great rivers) are—(1) Ganga, (2) Yamuna, (3) Sarayu, (4) Airavati (Ravi) and (5) Mahi.
However, they are allowed to cross these mahanadis for five reasons-(1) If there is a fear of being deprived of body and equipment. (2) If there is a famine. (3) On being tormented or thrown into the river by someone. (4) If there is a flood. (5) If disturbance is created by anarya people (ignoble people like aborigines).
विवेचन-सूत्र में नदियों के लिए 'महार्णव और महानदी' ये दो विशेषण दिये गये हैं। जो बहुत गहरी हो उसे महानदी और जो समुद्र के समान बहुत जल वाली या समुद्र में मिलने वाली हो उसे महार्णव फ़ कहते हैं। गंगा आदि पाँचों नदियाँ गहरी भी हैं और समुद्रगामिनी भी हैं, बहुत जलवाली भी हैं।
वृत्तिकार ने बृहत्कल्पभाष्य की एक प्राचीन गाथा को उद्धृत कर नदियों में उतरने या पार करने के फ़ व्यावहारिक दोष बताये हैं-(१) इन नदियों में बड़े-बड़े मगरमच्छ रहते हैं, उनके द्वारा खाये जाने का
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स्थानांगसूत्र (२)
(138)
Sthaananga Sutra (2)
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