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५५९. तैराक चार प्रकार के होते हैं । (१) कोई एक बार समुद्र को पार करके पुनः समुद्र को पार करने में विषादग्रस्त हो जाता है । (२) कोई समुद्र को पार करके गोष्पद को पार करने में विषादग्रस्त हो जाता है। (३) कोई गोष्पद को पार करके समुद्र को पार करने में विषादग्रस्त हो जाता है। (४) कोई क गोष्पद को पार करके पुनः गोष्पद को पार करने में विषादग्रस्त हो जाता है।
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(१) कोई तैराक समुद्र को तैरने का संकल्प करता है और समुद्र को तैर जाता है।
(२) कोई समुद्र को तैरने का संकल्प करता है, किन्तु गोष्पद (अल्प जल वाले स्थान) को तैरता है ।
(३) कोई गोष्पद को तैरने का संकल्प करता है और समुद्र को तैर जाता है।
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(४) कोई गोष्पद को तैरने का संकल्प करता है गोष्पद को ही तैरता है ।
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588. Tarak (swimmers) are of four kinds-(1) Some tarak (swimmer) resolves to swim a sea and actually swims a sea. (2) Some tarak 出 (swimmer) resolves to swim a sea but actually swims a goshpad (a small 5 water body; pond ). ( 3 ) Some tarak (swimmer ) resolves to swim a pond 5 but actually swims a sea. (4) Some tarak (swimmer ) resolves to swim a 卐 pond and actually swims a pond.
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५८९. चत्तारि तरगा पण्णत्ता, तं जहा-समुदं तरेत्ता णाममेगे समुद्दे विसीयति, समुदं तरेत्ता णामगे गोप्प विसीयति, गोप्पयं तरेत्ता णाममेगे समुद्दे विसीयति, गोप्पयं तरेत्ता णाममेगे गोप्पए विसीयति ।
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पूर्ण - तुच्छ - पद PURNA-TUCHCHHA-PAD (SEGMENT OF FULL AND EMPTY)
589. Tarak (swimmers) are of four kinds-(1) After crossing a sea once, 5 some tarak (swimmer ) gets dejected to cross a sea again. (2) After crossing 5 ha sea once, some swimmer gets dejected to cross a pond (3) After crossing 5 a pond once, some swimmer gets dejected to cross a sea. (4) After crossing a pond once, some swimmer gets dejected to cross a pond again.
५९०. चत्तारि कुंभा पण्णत्ता, तं जहा - पुण्णे णाममेगे पुण्णे, पुण्णे णाममेगे तुच्छे, तुच्छे णाममेगे पुण्णे, तुच्छे णाममेगे तुच्छे।
एवमेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा - पुण्णे णाममेगे पुण्णे, पुण्णे णाममेगे तुच्छे, तुच्छे णाममेगे पुण्णे, तुच्छे णाममेगे तुच्छे।
५९०. कुम्भ (घट) चार प्रकार के हैं - ( 9 ) कोई कुम्भ आकार से परिपूर्ण (सम्पूर्ण) होता है और घी आदि द्रव्य से भी पूर्ण होता है । (२) कोई कुम्भ आकार से परिपूर्ण होता है और घी आदि द्रव्यों से तुच्छ खाली होता है। (३) कोई कुम्भ आकार से अपूर्ण, किन्तु घृतादि द्रव्यों से परिपूर्ण होता है। (४) कोई कुम्भ घृतादि से भी तुच्छ (रिक्त) और आकार से भी तुच्छ (अपूर्ण) होता है।
स्थानांगसूत्र (२)
(52)
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Sthaananga Sutra (2)
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