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आधुनिक हिन्दी-जैन साहित्य
किस प्रकार अच्छा-बुरा व्यवहार करता है, तथा कर्मों के फलस्वरूप पाप-पुण्य का कैसा फल प्राप्त करता है, वह इस कथा में बतलाया गया है। वातावरण एवं प्रवृत्ति का कैसा घनिष्ट प्रभाव मनुष्य के जीवन पर पड़ता है, इसका उद्घाटन रोचक कथावस्तु के द्वारा किया गया है। इस पौराणिक कथा में लेखक ने मनोवैज्ञानिक ढंग से देवव्रत, रूपसुंदरी आदि का चरित्र-चित्रण किया है क्योंकि कोई भी व्यक्ति संपूर्ण नहीं होता है, कभी-कभी कमजोरी के क्षण में अच्छा व्यक्ति भी अपना संयम खो बैठता है, तो कभी सात्विक वातावरण पाकर बुरा आदमी भी अच्छाई की राह को आत्मसात कर लेता है। नवरत्न :
श्री कामताप्रसाद जैन द्वारा लिखित इस कहानी संग्रह में जैन जगत की प्रमुख नव ऐतिहासिक व्यक्तियों का चरित्र-चित्रण किया गया है उनकी वीरता, उदारता एवं धार्मिकता का महत्व अंकित करने के हेतु ही इसकी रचना की गई है। ऐतिहासिक आधार पर से इसकी कथावस्तु ग्रहण की है, पर अनुकूल कल्पनाओं का भी अद्भुत संमिश्रण किया है। इस संग्रह में तीर्थंकर अरिष्टनेमि, सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य, सम्राट एल खारवेल, वीर चामुण्डराय, चारित्र्यवीर मारसिंह, जिनधर्म रत्न गंगराज, सम्यकत्व चूड़ामणि हूल्ल, वीरागंना सावित्री और सती सुंदरी की कथा का संनियोजन किया गया है। पंचरत्न :
यह भी बाबू कामताप्रसाद जैन की रचना है। इसमें भी उन्होंने 'नवरत्न' की भांति जैन जगत के पराक्रमी, धार्मिक महान स्त्री-पुरुषों के ऐतिहासिक आधार पर कथानक लिया है। जिसमें आंशिक कल्पना के मिश्रण से कथाओं को रोचक बनाया गया है। जैन जगत के ये पांच रत्न है-सम्राट श्रेणिक, महानन्द, कुरुम्बाधीश्वर, नृप बिज्जलदेव तथा सेनापति वैचप्प। “जैन कथाओं ने एक समय सारे संसार का कल्याण किया था। आज हिन्दी वालों को उनका पता नहीं है। बहुत सी बातें तो स्वयं जैनी भी नहीं जानते हैं। बस, इसलिए कि लोग जैन कथाओं और जैन महापुरुषों को जान-पहचाने, मैंने यह उद्योग किया है। कहानी का आधार कल्पना मात्र है लेकिन कोरी कल्पना नहीं है। वे सत्य घटनाओं पर निर्भर हैं-ऐतिहासिक हैं। ++++ प्रस्तुत कहानियां ऐतिहासिक घटनाओं का पल्लवित रूप हैं। उनसे जैन संघ की उदार समाज व्यवस्था और जैनों के राष्ट्रीय हित कार्य का भी परिचय होता है।
1. कामताप्रसाद जैन-पंचरत्न, 'दो शब्द', भूमिका, पृ० 8.