Book Title: Aadhunik Hindi Jain Sahitya
Author(s): Saroj K Vora
Publisher: Bharatiya Kala Prakashan

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Page 539
________________ आधुनिक हिन्दी-जैन-गद्य-साहित्य का शिल्प-विधान 515 इसके उपरान्त हिन्दी जैन साहित्य में संस्मरणात्मक साहित्य को आधुनिक युग की एक अत्यन्त महत्वपूर्ण विधा कही जायेगी। पं० अयोध्याप्रसाद गोयलीय द्वारा संपादित 'जैन जागरण के अग्रदूत' एक विशिष्ट रचना है, जिसके लिए गोयलीय जी धन्यवाद के अधिकारी हैं। प्रधान संस्मरणात्मक लेखों के लेखक भी स्वयं वे हैं। काव्य लेखकों में जैन साहित्य के ही नहीं, अपितु हिन्दी साहित्य के भी जाने-माने प्रसिद्ध विद्वान् एवं साहित्यकार हैं, जैसे-जैनेन्द्र कुमार जैन, गुलाबराय, नाथूराम 'प्रेमी', वर्णी जी, नेमिचन्द्र जैन, नेमिचन्द्र शास्त्री, पं० महावीरप्रसाद, पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री, श्रीमती कुन्थुकुमारी जैन प्रभृति प्रसिद्ध साहित्यकार हैं।' इन दिव्य दीपों में तेल और वर्तिका संजोने वाले श्री गोयलीय के अतिरिक्त अन्य लेखक भी हैं। इन सबकी शैली में अपूर्व प्रवाह, माधुर्य और जोश है। भाषा में इतनी धारावाहिकता है कि पाठक पढ़ना आरम्भ करने पर अन्त किये बिना नहीं रह सकता। + + + इन सभी संस्मरणों में रोचकता इतनी अधिक है कि गूंगे के गुड़ की तरह उसकी अनुभूति पाठक ही कर सकेंगे। भाषा में ओज, माधुर्य और प्रवाह है। शैली अत्यन्त संयत और प्रौढ़ है। + + + प्रयाग में जैसे त्रिवेणी संगम स्थल पर गंगा, यमुना और सरस्वती की धाराएँ पृथक-पृथक होती हुई भी एक हैं, ठीक उसी प्रकार यहाँ भी सभी लेखकों की भिन्न-भिन्न शैली का आस्वादन भिन्न-भिन्न रूप से होने पर भी प्रवाह ऐक्य है। इस स्तंभ के संस्मरणों को पढ़ने से मुझे ऐसा मालूम पड़ा, जैसे कोई भगवान् भक्त किसी ठाकुरदारी पर खड़ा हो पंचामृत का रसास्वादन कर रहा है।' इसके उपरान्त हिन्दी जैन साहित्य में अभिनंदन ग्रंथ भी प्रकाशित हुए हैं। इनसे आधुनिक जैन साहित्य तो लाभान्वित हुआ ही है, वरन् हिन्दी साहित्य के इस क्षेत्र के भण्डार की अभिवृद्धि का भी प्रशंसनीय कार्य हुआ है। इनमें श्रीयुत् अगरचन्द नाहटा अभिनंदन ग्रन्थ, पं० नाथूराम प्रेमी अभिनंदन ग्रन्थ, पं० क्षुल्लक गणेशप्रसाद वर्णी अभिनन्दन ग्रन्थ, आचार्य शान्ति सागर श्रद्धांजलि ग्रन्थ, गुरुदेव श्री रत्नमुनि स्मृति ग्रन्थ, ब्र. पं. चन्दाबाई अभिनंदन ग्रन्थ प्रमुख हैं। इन अभिनन्दन ग्रन्थों से एक ओर से विद्वान, धार्मिक व साहित्य-प्रेमी व्यक्तियों के जीवन प्रसंगों पर (परिचित) अधिकारी व्यक्तियों द्वारा प्रकाश डाला गया है, वहाँ दूसरी ओर जैन धर्म, दर्शन, कला व साहित्य पर भी विभिन्न विद्वानों के विद्वतापूर्ण निबंध भी प्रकाशित हुए हैं, जिनकी शैली आधुनिक साहित्य व वातावरण के सर्वथा उपयुक्त कही जायेगी। इस प्रकार उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि आधुनिक हिन्दी जैन गद्य 1. आचार्य नेमिचन्द्र शास्त्री-हिन्दी जैन साहित्य परिशीलन-भाग-2, पृ. 143.

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