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आधुनिक हिन्दी - जैन साहित्य
या छोटा, पाप तो पाप ही रहेगा। उसका दण्ड उन दोनों को समान ही मिलना चाहिए।' या 'देखो! बड़ा वही कहलाता है, जो समदर्शी रूप हो, सूर्य की रोशनी चाहे दरिद्र हो चाहे अमीर दोनों के घर पर समान रूप से पड़ती है । ' भाषा बड़ी ही मधुर एवं भावानुभूतिपूर्ण होने से पाठक उनके विचारों और भावों के साथ तादात्म्य स्थापित पर उनकी यात्राओं के साथ स्वयं भी यात्री बन चल पड़ता है। आचार्य नेमिचन्द्र जी उचित ही लिखते हैं-' घटनाएँ इतने कलात्मक ढंग से संजोयी गई है, जिससे पाठक तल्लीन हुए बिना नहीं रह सकता । भाषा इतनी सरल और सुन्दर है कि थोड़ा पढ़ा-लिखा मनुष्य भी स्वमग्न हो सकता है। छोटे-छोटे वाक्यों में अपूर्व माधुर्य भरा है। प्रकृति का वर्णन भी उन्होंने यात्रा के प्रसंग में यत्र-तत्र किया है, जिससे आत्म कथा लेश- मात्र भी नीरस न बनकर पूर्णत: साहित्यिक सौन्दर्य लिए रही है। उनकी इस रचना में जहाँ एक ओर उनका प्रकाण्ड पांडित्य, सत्य निष्ठा, दृढतम चारित्र्य बल, अध्ययन की तीव्रतम आकांक्षा व शारीरिक विशुद्धता, कष्ट सहिष्णुता है, तो दूसरी ओर जीवन की अच्छी-बुरी घटनाओं की अभिव्यक्ति में वाणी की सरलता, मृदु- -मनोहर अनुभूति पूर्ण शैली तथा निराडम्बरता स्पष्ट प्रतीत होती है।
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दूसरी आत्मकथा वकील श्री अजीत प्रसाद जैन की 'अज्ञात जीवन' के अंतर्गत भी बाबू अजीत प्रसाद जी का जैन जगत् के लिए लोकप्रिय व्यक्तित्व की झलक सरल शैली में उपलब्ध होती है। जैन साहब न केवल अपने कार्य-: - जगत् में संलग्न रहे, बल्कि समाज के अभ्युदय एवं कल्याण-कार्य में भी पूर्ण सहयोग देते रहे।' इस आत्मकथा में सामाजिक कुरीतियों का पूरा विवरण मिलता है। भाषा संयत, सरल और परिमार्जित है। अंग्रेजी और उर्दू के प्रचलित शब्दों को भी यथा स्थान रखा गया है। वैसे आत्मकथा का शीर्षक 'अज्ञात जीवन' हैं, लेकिन वकील बाबू का जीवन व कार्य की महत्ता से जैन समाज अज्ञात नहीं है। अपने विषय के प्रकाण्ड विद्वान होने पर भी जीवनी की शैली व प्रसंगों में सरलता, रोचकता एवं स्वाभाविकता का पूरा ध्यान रखा गया है। भाषा व शैली में कहीं भी बाह्याडम्बर दीखता नहीं है।
जीवनी व चरित ग्रन्थों में हिन्दी जैन साहित्य में जैन जगत के प्रमुख धार्मिक विद्वान व साहित्यकारों के सम्बंध में भी साहित्यिक कृतियाँ प्राप्त होती हैं, जैसे सेठ माणिक चन्द, सेठ हुकुम चन्द भारिल्ल कुमार देवेन्द्र प्रसाद, बाबू ज्योतिप्रसाद, ब्र० पं० चन्दा बाई तथा श्रीमती मगन बाई के जीवन चरित्रों की भाषा-शैली आधुनिक एवं बोधात्मक है।
1. आचार्य नेमिचन्द्र शास्त्री - हिन्दी जैन साहित्य परिशीलन - भाग-2, पृ० 139. 2. वही, पृ० 141.