________________
आधुनिक हिन्दी-जैन-गद्य साहित्य : विधाएँ और विषय-वस्तु
309
मुझे राज्य की आवश्यकता नहीं है महाराज, मुझे इससे घृणा है। इसी विद्युच्चर के पात्र को लेकर श्री जैनेन्द्र जी ने भी सुन्दर मानवीय भावों एवं मार्मिक कथोपकथन युक्त रोचक कथा लिखी है, जिसमें लोकधर्म की प्रेरणा को व्यक्त किया गया है।
'मोह-निवारण' में भी आत्म-शक्ति की तरह भीतरी शक्ति की सर्वोपरिता अभिव्यक्त की गई है। सभी शक्तियों को यह शक्ति अपने अधिकार में रखती है। विवेक जागृत होने पर मोह का नाश होता है और आत्मशक्ति तेजस्वी हो उठती है।
'अंजन निरंजन हो गया' कहानी में विषय वासना से झुलसे प्राणी को आत्मिक ज्ञान-आभा-की एक चमक प्राप्त होते ही उनका व्यक्तित्व खिल उठता है। श्यामागणिका के मोहपाश में आबद्ध अंजन अपनी आत्मशक्ति पर स्वयं चकित हो जाता है। अंजन को अपनी शक्ति व सफलता का ज्ञान हुआ, पर सफलता के पश्चात वीरों को हर्ष नहीं होता, उपेक्षा हो जाती है और नम्रता प्रकट होती है। 'सौंदर्य की परख' में क्षण भंगुर सौंदर्य की प्रतीति में मनुष्य निरर्थक बंध कर नाना प्रकार के कष्टों को सहन करता है और जब बाह्य सौंदर्य का नशा उतर जाता है, तो यथार्थ का अनुभव होने लगता है।
__ 'वसन्त सेना' कथा में नीच और पतित समझी जाने वाली नारी में भी सच्चाई, हार्दिक प्रेम एवं त्याग की भावना अन्तनिर्हित होती है, यह वसन्त सेना के पात्र द्वारा स्पष्ट होता है। वसन्त सेना वेश्या पुत्री होने पर भी पातिव्रत के आदर्श का पूर्ण पालन करती है। अपने प्रियतम चारुदत्त के निर्धन हो जाने पर भी उसे पूर्ववत अपार स्नेह करती हुई कहती है-मेरा धन तुम्हारा हैं चारु! मैं आपकी दासी हूँ, मुझे अन्य न समझिये नाथ!'
'परिवर्तन' में कठोर हृदय राजा श्रेणिक जैन मुनि को कष्ट देकर व निन्दा करते हुए भी खुश होते हुए रानी चेलना को आनंद से कहते हैं कि-वैसे मुनि को समाधि भंग कराने के लिए कष्ट दिए और फिर भी मुनि शान्त भाव से सहते रहे, एक शब्द भी बोले नहीं। तब परम धार्मिक रानी चेलना दु:खपूर्ण शब्दों में कहती है कि 'चार दिन नहीं नाथ। चार महीने बीत जाने पर भी साधु उपसर्ग उपस्थित होने पर डिगते नहीं।' इस प्रकार रानी चेलना के ऐसे मार्मिक कथन से राजा श्रेणिक को पछतावा होता है। मुनि से क्षमा याचना करने जाते हैं और तब से जैन धर्म एवं जैन साधुओं का समादर करने लगे। नारी के कोमल संसर्ग एवं प्रभावोत्पादक व्यवहार से पत्थर हृदय वाला पुरुष भी कितना बदल जाता है, यह दर्शनीय है।