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आधुनिक हिन्दी-जैन साहित्य ऐतिहासिक स्त्रियां :
देवेन्द्र प्रसाद जैन लिखित यह कथा-संग्रह 1913 ईस्वी में प्रकाशित हुआ था। लेखक ने इसमें आठ प्रसिद्ध सतियों की कथा में उनके सतीत्व, पवित्रता, कष्ट-सहिष्णुता, उदारता, पवित्रता एवं धर्म-निष्ठा के गुणों को उजागर किया है। इन सतियों में राजमती, सती सीता, चेलना देवी, मनोरमा देवी, मैना सुन्दरी, वीरनारी द्रोपदी, साधु चरित्रा रानी अंजना सुन्दरी, श्रीमती रानी रयनमंजूषा की कथा का वर्णन किया गया है। महासती सीता एवं वीरनारी द्रोपदी की कथा में रामायण व महाभारत की प्रसिद्ध कथा वस्तु से थोड़ा-बहुत परिवर्तन भी किया गया है। जैन धर्म से सम्बंधित ग्रन्थों के आधार से ग्रहण की गई कथाओं में परिवर्तन की विशेष गुंजायश नहीं रहती है। लेखक ने इन सतियों की कथा में कहीं ऐतिहासिक आधार पर संकेत नहीं दिया है, वैसे पौराणिक ग्रन्थों में इन सबके विषय में जानकारी उपलब्ध होती है। अन्त में लेखक ने इस पुस्तक लिखने का अपना उद्देश्य भी स्पष्ट रूप से बता दिया है कि-धन्य है भारतवर्ष। जहाँ ऐसी-ऐसी रमणी रत्न जन्म धारण कर इस भूमि को पवित्र कर रही हैं। यद्यपि ऐसे उदाहरणों से भारत का संपूर्ण इतिहास भरा पड़ा है, तथापि हमने कुछ आदर्श होने योग्य शीलवती, सतीत्व परायण नारियों के चरित्रों का यह संग्रह किया है। सहृदय पाठक, पाठिकाएँ इससे अवश्य शिक्षा ग्रहण करेंगी।'
इस छोटी-सी पुस्तक में देवेन्द्र प्रसाद जी ने रोचक कथा-वस्तु प्राचीन कथा शैली पर प्रस्तुत की है, जिसे पढ़ने के लिए पाठक का मन निरन्तर उत्सुक रहता है। भाषा में कहीं भी आलंकारिकता न होकर सरलता व स्वाभाविकता रही है। लेखक ने रसास्वादन के साथ-साथ शिक्षा का भी उद्देश्य रखा है, फिर भी उनका उपदेश का रूप कथा-प्रवाह को कहीं भी विशृंखलित नहीं बनाता।
___ 'जयभीख' ने 'वीर धर्म की कहानियाँ' में धार्मिक परिवेश के साथ साहित्यिक भाषा शैली में सुन्दर कथाएँ लिखी हैं।
पं. सुखलाल जी संघवी ने भी पौराणिक आधार पर से चार प्रमुख तीर्थंकर ऋषभदेव, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ व महावीर की कथा अत्यन्त साहित्यिक ढंग से लिखी है, जिनमें ऐतिहासिकता का भी पूरा ख्याल रखा गया है। पंडितजी ने कथा में बिम्ब वर्णनों की रोचकता के साथ विश्वस्त सूत्रों को भी ठीक से पकड़ रखा है।
_ 'चतुर महावीर' में श्री सत्यभक्त ने सुंदर रोचक कहानियाँ लिखी हैं। इनमें 1. देवेन्द्र जैन : ऐतिहासिक स्त्रियाँ, पृ० 82.