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आधुनिक हिन्दी-जैन-गद्य साहित्य : विधाएँ और विषय-वस्तु
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हैं-आध्यात्मिक रस भौतिक वादियों के लिए एक कड़वी दवा होती है परन्तु यहाँ वही कड़वी दवा मीठे-मीठे बतासे में रखकर पिलाई जा रही है 'लेखक की शैली की मधुरता प्रेक्षणीय है। ऋषभदेव की जन्मभूमि का काव्यात्मक वर्णन करते हुए लिखते हैं-'रंग चलते विहंग गण से चर्चित और मदमाती, इठलाती, सरसाती, स्वच्छ शीतल नीर सहित सरिता से मंडित घर नगरी इन्द्र की पुरी को भी मात दे रही है। 'वसन्त जी रचित जीवनियों में चरित नायक की जीवनी का क्रमबद्ध आलेखन तो रहता है, लेकिन चरित्र-चित्रण भी काफी सुरेख तथा संवाद छोटे-छोटे और अत्यन्त रोचक हैं। सचमुच, उन्होंने आध्यात्मिकता एवं दार्शनिक चर्चा को भी मधुर प्राकृतिक वर्णन एवं तीर्थंकरों के जीवन विकास के सुंदर वर्णनों से हृदय ग्राह्य बना दी है। इन जीवनियों के विषय में विस्तृत वर्णन के लिए यहाँ अवकाश नहीं है, क्योंकि तीर्थंकरों की जीवनी अनेक विद्वान लेखकों द्वारा लिखी गई होने से केवल नामोल्लेख से संतोष करना पड़ेगा।
बाबू कामता प्रसाद जैन ने भी 'भगवान पार्श्वनाथ' और 'भगवान महावीर और महात्मा बुद्ध नामकचरित ग्रन्थ लिखे हैं, जिसकी भाषा शैली संयत व प्रौढ़ है। तीर्थंकरों के पूर्व जन्मों की कथा में बीच-बीच में उपदेशात्मक शैली देखी जा सकती है। ___आचार्य रजनीश ने 'महावीर मेरी दृष्टि में' पुस्तक में नूतन-दृष्टिबिन्दु एवं विचारधारा से महावीर का जीवन और व्यवहार, चिन्तन एवं कर्म को व्यक्त किया है। आचार्य रजनीश ने अन्य भी धार्मिक ग्रन्थों का प्रणयन किया है, जैन धर्म की सैद्धांतिक चर्चा इन्होंने अपने व्याख्यानों में विशेष की है, जिनको प्रकाशित किया जाता है। तीर्थंकरों के जीवन चरितों की सूची निम्नलिखित रूप से हैंपुस्तक
लेखक 1. वर्द्धमान महावीर
दिगम्बरदास जैन, कामताप्रसाद जैन 2. भगवान अरिष्टनेमि और कर्मयोगी श्रीकृष्ण
देवेन्द्र मुनि 3. वर्द्धमान महावीर
जगदीश जैन 4. चौबीस तीर्थंकर
डा. देवेन्द्र कुमार 5. तीर्थंकर महावीर
श्री मधुकर मुनि और नूतन मुनि 6. संभवनाथ चरित्र
प्रताप मुनि 7. महावीर जीवन प्रभा
आनंद सहाय जी महाराज