________________
आधुनिक हिन्दी-जैन-गद्य साहित्य : विधाएँ और विषय-वस्तु
395
वातावरण, विचार शैली एवं विश्लेषणात्मक ढंग से सुन्दर (कथा) उपन्यास-साहित्य की ओर प्रवृत्त होने की आवश्यकता रहती है, इसके लिए न केवल जैन साहित्यकार बल्कि हिन्दी साहित्य के लेखकों को भी अच्छे कथानकों को लेकर कार्य करना चाहिए, ताकि हिन्दी-जैन-साहित्य को भी समृद्ध होने का गौरव प्राप्त हो सके।
यह बात भी उल्लेखनीय है कि हिन्दी गद्य के विकास में दिगम्बरसाधुओं का योगदान भी प्रशंसनीय है। शुद्ध साहित्यिक हिन्दी में चरित-जीवनी, निबन्ध-साहित्य का सृजन कर इसके भण्डार को भरा है।