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आधुनिक हिन्दी-जैन-गद्य साहित्य : विधाएँ और विषय-वस्तु
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हो जाता है। उसकी अमर्यादित अभिलाषाएँ नियंत्रित होकर जीवन को तीव्रता के साथ आगे बढ़ाती हैं। फलतः महान व्यक्तियों के स्मरण-जीवन की धारा को गंभीर गर्जन करते हुए सागर में विलीन नहीं कराते, बल्कि हरे-भरे कगारों की शोभा का आनंद लेते हुए उसे मधुमती भूमिका का स्पर्श कराते हैं-जहाँ कोई भी व्यक्ति वितर्क बुद्धि का परित्याग कर रसमग्न हो जाता है और पर-प्रत्यक्ष का अल्पकालिक अनुभव करने लगता है। ___ इस ग्रंथ में गोयलीय जी ने प्रमुख तत्त्व चिंतन, दानवीर, धार्मिक एवं समाज-सेवक 37 व्यक्तियों के संस्मरण अथक परिश्रम एवं उत्साह से अंकित किये व करवाये। संकलन में वर्णित सभी संस्मरणों को चार भागों में विभक्त किया गया है-प्रथम खंड त्याग और साधना के दिव्य प्रदीपों की अमर ज्योति से आलोकित हैं-ये दिव्य दीप हैं-शीलतप्रसाद, बाबा भागीरथी वर्णी, आत्मार्थी, कानजी महाराज, ब्र. पं० चन्दाबाई, तथा बैरिस्टर चम्पतराय जी की बहन) इन दिव्य दीपों में तेल और वर्तिका संजोने वालों में श्री गोयलीय जी के अतिरिक्त अन्य लेखकों में वर्णी जी, नाथूराम 'प्रेमी', नेमिचन्द्र शास्त्री, पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री, साहू शांतिप्रसाद जी, प्रो० खुशालदास गारावाला, श्री राजेन्द्र कुमार जैन
और छोटेलाल जैन हैं। इन सबकी शैली में अपूर्व उत्साह, प्रवाह, माधुर्य एवं जोश है। सबकी भावना में सहजिकता के साथ श्रद्धा का तत्त्व भी शामिल है, जो स्वाभाविक भी है।
दूसरा काम तत्त्व ज्ञान के आलोक-स्तंभों से शोभित है। ये आलोक स्तंभ ग्रंथ हैं-गुरु गोपालदास बरैया, पं. उमराव सिंह, पं. पन्नालाल बाकलीवाल, पं० ऋषभदास, पं. महावीर प्रसाद, पं० अरहदास, पं. जुगलकिशोर मुख्तार और पं० नाथूराम 'प्रेमी'। इस स्तंभ के लेखकों में भी गोयलीय जी के सिवा क्षुल्लक गणेशप्रसाद, पं० सुखलाल जी संघवी, पं. नाथूराम प्रेमी और श्री कन्हैयालाल 'प्रभाकर' प्रमुख हैं। इन सभी संस्मरणों में रोचकता इतनी अधिक है कि गूंगे के गुड़ के स्वाद की अनुभूति ही संभव हो सकती है। सभी लेखक जैन साहित्य और हिन्दी साहित्य के जाने-माने लेखक हैं। सभी की भाषा में ओज, माधुर्य, प्रवाह तथा हार्दिकता छलकती है।
तीसरे भाग में अमर समाज सेवक हैं, जिन्होंने समाज में नवरचना का प्रकाश फैलाया है-वे हैं-बाबू सूरजभानु वकील, बाबू दयाचन्द गोयलीय, कुमार देवेन्द्रप्रसाद, बैरिस्टर जुगलमंदिर लाल बैनी, अर्जुनलाल सेठी, बैरिस्टर चंपनराय, बाबू ज्योतिप्रसाद, बाबू सुमेरुचंद एडवोकेट, अजीतप्रसाद वकील, 1. डा. शास्त्री : हिन्दी जैन साहित्य का परिशीलन, पृ. 141.