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आधुनिक हिन्दी-जैन साहित्य
नहीं कर पायेगा। यथार्थ को जाना, आचरण में लिया तभी साध्य होगा।' एकांगिता सत्य को मान्य नहीं होती है तो फिर किसी भी सम्प्रदाय को क्यों मान्य होनी चाहिए?' इसी प्रकार आचार्य तुलसी की जैन दर्शन शास्त्रों के विषय में विद्वता प्रसिद्ध है। मानवीयता, विश्लेषाणात्मकता एवं विचारात्मकता उनके लेख, व्याख्यान, प्रस्तावनाएँ आदि में व्यक्त होती है। क्या धर्म बुद्धि गम्य है ?' उनके सुंदर निबंधों का संकलन है। जैन सम्प्रदायों में तेरा पन्थ सम्प्रदाय के आप प्रवर्तक हैं। आप और आपके विद्वान अनुयायी जैन साहित्य तथा दर्शन के विषय में प्रेरणात्मक व उत्साहवर्द्धक सर्जन करते हैं।
'ज्ञान दीप जले' के रचयिता मुनि श्री विद्यानंद जी भी आध्यात्मिक निबंधकार हैं। इसमें उनके आध्यात्मिक विचारप्रधान निबंधों का संकलन जयप्रकाश वर्मा ने किया है। वर्मा जी मुनि श्री के प्रति अत्यन्त श्रद्धावान हैं। इसमें मानव मात्र के कल्याणस्वरूप अध्यात्म की चर्चा की है। किसी निबंधों में सांस्कृतिक पर्वो का आध्यात्मिक दृष्टि से भी अच्छा विश्लेषण किया है, जैसे-'दीप-निर्वाण', 'दीपावली का महत्त्व', 'दिगम्बर मुनि और श्रमण', आदि में यह देखा जा सकता है। अहिंसा, प्रेम, समानता एवं समभाव के मुख्य तत्त्वों की विवेचना रोचक शैली में की है। भोग-विलास की अपेक्षा त्याग वृत्ति व अहिंसा पूर्ण व्यवहार ही मानव-आत्मा को उन्नति की राह पर ले जाता है ऐसा तारतम्य बहुत से निबंधों से स्फुट होता है।
_ 'चन्दन की सौरभ' देवेन्द्र मनि के साहित्यिक निबंधों का संकलन है. जिनमें मानव-कल्याण की भावना से अनुप्रेरित अनुभूतियों को लेखक ने सुन्दर भावात्मक शैली में अभिव्यक्त किया है। 'भगवान अरिष्टनेमि और कर्मयोगी श्रीकृष्ण' में उन्होंने जैन दर्शन के तथ्यों का सुंदर आलेखन किया है, साथ में संस्कृत जैन-कृष्ण साहित्य का भी विशद् परिचय साहित्यिक शैली में दिया है। इसमें उन्होंने बौद्ध वैशेषिक के साथ जैन दर्शन की तुलना करते हुए तीनों की विशेषताएं व्यक्त की हैं। देवेन्द्र मुनि दार्शनिक के साथ अच्छे निबंधकार तथा कथाकार के रूप में भी प्रसिद्ध हैं। ___'मानवता के पथ पर' मुनि लाभचन्द्र जी के मानवता के उन्नायक प्रवचनों का संकलन है। प्रत्येक प्रवचन अपने आप में प्रकाश-स्तंभ, विचारपूर्ण
और कल्याणकारी है। इनमें जीवन की अनेक समस्याओं पर गंभीरता से विशद् विवेचन किया गया है। इनमें सामाजिक समस्याओं के साथ धर्म, समाज, 1. नथमल मुनि : जैन दर्शन में आचार मीमांसा-प्राक्कथन, पृ. 2. 2. नथमल मुनि : जैन धर्म-बीज और बरगद-पृ. 18.