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आधुनिक हिन्दी जैन साहित्य : सामान्य परिचय
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मुनि श्री विद्यानन्द जी ने 'ज्ञानदीप जले में आध्यात्मिक विचार युक्त निबंध लिखे हैं, जिसका संपादन जयप्रकाश वर्मा ने किया है। वर्मा जी विद्यानन्द जी के प्रति काफी श्रद्धावान हैं। इसमें मानव-मात्र के कल्याण स्वरूप अध्यात्म की चर्चा की गई है। 'श्रमणों की महत्ता', 'दिगम्बर मुनि और श्रमण' में श्रमण-संस्कृति की महत्ता-विशेषता पर प्रकाश डाला है। इनकी भाषा शैली विचार-प्रधान और रोचक है। मुनि श्री लामचंद जी ने मानवता के पथ पर में मानवता के 'उन्नायक प्रवचनों का संग्रह किया है। प्रत्येक प्रवचन अपने आपमें विचारपूर्ण कल्याणप्रद एवं प्रकाश स्वरूप है। इनमें जीवन की अनेक समस्याओं पर गंभीरता से विशद् विवेचन किया गया है।
महात्मा भगवानदीन का आधुनिक हिन्दी जैन निबंधकार के रूप में महत्त्वपूर्ण स्थान है। आपने 'स्वाध्याय' निबंध संग्रह में मनोवैज्ञानिक ढंग से विश्लेषण-विवेचन किया है। आपकी भाषा-शैली भी शुद्ध व तर्कपूर्ण है।
देवेन्द्र मुनि के निबंध संग्रह 'चन्दन की सौरभ' साहित्यिक-निबंधों का संकलन है, जिसमें मानव-कल्याण की भावना से प्रेरित होकर भावानुभूतिपूर्ण वैचारिक ढंग से लेखक ने निबंध लिखे हैं। भगवान अरिष्टनेमि और कर्मयोगी श्रीकृष्ण' में उन्होंने जैन दार्शनिक तथ्यों का सुन्दर आलेखन किया है, साथ में संस्कृत जैन कृष्ण-साहित्य का भी विशद् परिचय साहित्यिक शैली में दिया है। इसमें उन्होंने बौद्ध-दर्शन और वैशेषिक दर्शन के साथ जैन दर्शन की भी तुलना कर तीनों की विशेषताएं व्यक्त की है। देवेन्द्र मुनि दार्शनिक के साथ-साथ कथाकार-निबंधकार के रूप में प्रकाश में आ रहे हैं। जीवनी, आत्मकथा व संस्मरण साहित्य :
__ आत्मकथा व संस्मरण-साहित्य को हम आधुनिक युग की विशेष देन कह सकते हैं। जब कि जीवनी इसके पहले भी लिखी जाती थी-भाषा का माध्यम चाहे कुछ भी हो। हिन्दी जैन साहित्य में जीवनी लिखने की परम्परा आधुनिक काल में सविशेष देखी जाती है। अपने गुरु के प्रति श्रद्धावश होकर लिखी गई जीवनी अपभ्रंश भाषा में पायी जाती है। पं. बनारसीदास जी की
आत्मकथा अर्द्ध-कथानक प्राप्त होती है। आधुनिक काल में खड़ी बोली में लिखित जीवनियां उपलब्ध होती हैं। इनमें विशेषतः किसी आचार्य या मुनि की उनके शिष्य या श्रद्धालु श्रावक के द्वारा लिखी गई है। निम्नलिखित जीवनियां आलोच्य काल में प्राप्त होती हैं। 1. प्रभात पाकेट बुक्स-मेरठ। 2. प्रकाशक-जैन संस्कृति संशोधन मण्डल-१राणसी।