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आधुनिक हिन्दी-जैन साहित्य
भोली-भाली मुग्धा अंजना का त्याग कर देते हैं। थोड़े समय के बाद सारे राज-परिवार में यह बात फैल जाती है। उस वेचारी ने बिना अपराध के पति-दर्शन और पति प्रेम के अमूल्य सुख को खो दिया। दिन-रात तड़पती-रोती, कलपती, वियोगिनी अजंना सखी बसन्त माला के सहारे भविष्य की आशा में दिन काटती हैं, तो रात नहीं गुजरती और रात भर रोते-रोते गुजारती है
बरसों भी बीत गये दुःखिया को, पाये नहि पीके दर्शन, छलिया, कपटिन, पगली कहते, झुका पवनंजय का नहीं मन। मन था या अनपढ़ पत्थर था, लोहा था या बंज्जर था, प्रेम-भिखारिन परम सन्दरी नारी को न जहाँ स्थल था।
इतने में लंका पति का युद्ध में सहायता का संदेश आने पर राजा प्रह्लाद को समझा-बुझाकर पवनंजय स्वयं सेना लेकर चल पडते हैं, तब मंगल द्रव्य लेकर पति को युद्धक्षेत्र में बिदा कराने हेतु अजंना द्वार पर आती है, तो पवनंजय उसका तिरस्कार कर बिना देखे ही चले जाते हैं। मानसरोवर के तट पर दिन भर की थकी सेना ने पडाव डाला तो रात के समय मानसरोवर के सुरम्य तट पर चकवे-चकवी का दृढ़-प्रणय-बंधन व चकवे की मौत पर चकवी का करुण आक्रन्द और तड़प देखकर पवनंजय को उसी क्षण अजंना की असहाय, दुःखी स्थिति का ख्याल आता है। और अभिमान भरी आँखों में अब पछतावे के आँसू बहने लगे और हृदय में अजंना से मिलने के लिए बेसब्र हो गया और अब तक किए गए अपमान और उपेक्षा का बदला चुकाने के लिए तत्काल विमान में बैठकर चल पडते हैं और महल में जाकर क्षमा-याचना कर प्रेम-रस से अजंना को भिगो देते हैं। अजंना भी अपने को धन्य भाग्य समझती पति के क्रूर व्यवहार को माफ कर देती है और सवेरे प्रयाण की बेला के वक्त उसकी मुद्रा मांगती है, ताकि परिवार वालों को भविष्य में कुछ होने पर विश्वास दिलाने के लिए सबूत रहे। फिर भी बेचारी गर्भवती होने पर कुमार की मुद्रा बतलाने पर भी अपमानित की गई और सखी बसन्तमाला के साथ तन-मन से टूटी अजंना एक शिला खण्ड के पास पुत्र-रत्न को जन्म देती है और वहीं दोनों सखियाँ रहने का निश्चय करती हैं। वहीं एक दिन विमान में राजा प्रति सूर्य और उसकी रानी स्वयं वहाँ आते हैं, अपनी भांजी और बच्चे को पाकर खुश होकर अपने साथ अपने राज्य में ले जाते हैं। बीच में हाथ से छूट जाने पर जिस शिला खण्ड पर बालक गिरा था वह चूर-चूर हो गई और बालक बाल-बाल बच गया
और इसी पर से बालक का नाम 'हनूमन' रखा गया। उधर पवनंजय युद्ध में विजय श्री प्राप्त कर महल में आकर अंजना के सम्बंध में जानकारी पाकर माँ-पर अत्यन्त क्रुद्ध होता है और वह अजना की खोज करने के लिए निकल