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आधुनिक हिन्दी-जैन साहित्य
वस्त्र, मकान, आभूषण आदि विविध विषयों पर बहुत कुछ प्रकाश पड़ता हैं। लोक कथा और भाषा शास्त्र की दृष्टि से भी यह साहित्य अत्यन्त महत्त्व का है। डा. विंटरनीज के शब्दों में 'जैन टीका ग्रन्थों में भारतीय प्राचीन कथा-साहित्य के अनेक उज्ज्वल रत्न विद्यमान हैं, जो अन्यत्र उपलब्ध नहीं होते।
यद्यपि इन जैन-कथा साहित्य में आधुनिक हिन्दी कहानी साहित्य का-सा बाहरी शैलीगत चमत्कार, आधुनिक विचारधारा, मनोवैज्ञानिकता का गहरा रंग या पाश्चात्य वातावरण का प्रभाव नहीं मिलेगा, फिर भी हृदय को धार्मिकता की पवित्रता व कथानक की अत्यन्त रोचकता से मोह लेने की शक्ति अवश्य है, जिससे पाठक को हार्दिक शान्ति का अनुभव अवश्य होता है। हिन्दी कथा साहित्य दो रूपों में उपलब्ध होता है एक तो प्राचीन ग्रंथों की कथाओं का भाववाही सुन्दर अनुवाद किया गया है और दूसरा रूप पौराणिक आधार पर से मौलिक रूप में रचित कथाओं का है। अधिकांश जैन कहानियों में व्रतों की, सम्यकत्व की, चरित्र एवं पंच महाव्रतों की महत्ता सिद्ध की गई है। सम्यकत्व कौमुदी भाषा, वरांग कुमार चरित्र, श्रीपाल चरित्र, धन्यकुमार चरित्र आदि कथाएँ जीवन की व्याख्या प्रस्तुत करती है। शीलकथा, दर्शन, रात्रि-भोजन-त्याग कथा, रोहिणी व्रत कथा, दान कथा, पंच कल्याण व्रत कथा आदि विशेष नैतिक दृष्टिकोण को लेकर लिखी गई कहानियाँ हैं। अनूदित कथा साहित्य की संख्या विपुल प्रमाण में है। आराधना कथा कोश, बृहत कथा कोश, संप्तव्यसन चरित्र, पुण्याश्रव कथा कोष के अनुवाद कथा-साहित्य की दृष्टि से उत्तम है। इन ग्रन्थों में एक साथ अनेक कथाओं का संकलन किया गया है, जो जीवन के मर्म को छूती हैं। आराधना कथा कोष :
उदयलाल कासलीवाल ने चार भागों में इसकी कथाओं का अनुवाद किया है। अनुवाद स्वंतत्र रूप से किया गया है। सभी कथाएँ रोचक हैं। अहिंसा-धर्म की महत्ता, पाप-पुन्य के फल की चर्चा एवं व्रतों का माहत्म्य कथाओं के माध्यम से जनता के सामने प्रस्तुत किया है। आधुनिक शैली में यदि इन कथाओं को थोड़ा-बहुत सजाया-संवारा जाय तो निश्चित ही जनता का मनोरंजन व आत्मिक उत्थान करने में समर्थ हो सकती हैं। बृहत कथा कोष :
बृहत् कथा कोष की कथाएँ दो भागों में प्रकाशित हो चुकी हैं, अभी
1. Sto farefira 'History of Indian Literature,' p. 4. 2. जैन मित्र कार्यालय-हीराबाग, बंबई (प्रकाशक)।