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आधुनिक हिन्दी जैन साहित्य : सामान्य परिचय
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गई है। फिर भी कहानियां अवश्य रोचक बन पड़ी है। सुंदर वर्णन एवं चरित्र-चित्रण की कला में भगवत् जी अत्यन्त माहिर है। छोटी-सी कहानियों का विषय वस्तु आकर्षक और संदेशप्रद है। दुर्ग द्वार :
जैन धर्म की सैद्धान्तिक सत्य घटनाओं पर आधारित कथा वस्तु को अपना कर लेखक ने इस संकलन की कहानियों को नवीन रूप-शैली में प्रस्तुत किया है। इस संग्रह में इन कहानियों को समायोजित किया गया है-दुर्गद्वार, शैशव, परिवर्तन, अपराधी, जल्लाद और नर्तकी। सभी में हिंसा का त्याग कर अहिंसा की महिमा का गौरव गान किया है। मानवी :
___ इस संकलन में प्रमुख कहानियां है-नारीत्व, अतीत के पृष्ठ, मातृत्व, चिरंजीवी और अनुगामिनी। इन कहानियों की कथा-वस्तु पौराणिक ग्रन्थ सम्यक्त्व कौमुदी, पद्मपुराण, निशि-भोजन-कथा, श्रेणिक चरित एवं 'पुण्याश्रव कथा' से ग्रहण किया गया है। नारी जीवन में उत्साह, प्रेम, करुणा, सतीत्व एवं सात्विक भावों की अभिव्यजंना करने में ये कहानियां पूर्णतः सक्षम हैं।
इस प्रकार भगवत् जी की सभी कहानियों में पुराने कथानकों को सजाने और संवारने में उनकी कला निखर आई है। सभी कहानियों में उत्सुकता जागृत करने की तीव्र आकांक्षा एवं कथा-प्रवाह का वेग प्रशंसनीय बना रहा है। श्रद्धा और त्याग :
रतनलाल गंगवाल रचित यह दो पद्यात्मक लघु कथाएं हैं। प्राचीन जैन कथा साहित्य पर आधारित महाचोर अंजन की कथा है जो अन्त में साधुव्रत ग्रहण करता है। 'श्रद्धा' में अंजन चोर की कथा है, तो 'त्याग' में दृढ़ प्रतिज्ञ भील की कथा है। वह एक बार मुनि से काग मांस न खाने की प्रतिज्ञा प्राणान्त तक निभाता है। ज्ञानोदय :
इसमें प्रो. महेन्द्रकुमार न्यायाचार्य की चार-पांच कहानियाँ प्रकाशित हुई है। 'श्रमण' 'प्रभाचन्द्र', 'जटिल मुनि', और 'बहुरूपिया'। कई कहानियां तो बहुत सुन्दर हैं तो कई में संस्कृत के श्लोकों को उद्धरित करके प्रवाह में अन्तराल पैदा कर दिया है। कथा वस्तु में प्रवाह-शैथिल्य के कारण घटनाओं के इतिवृत्त रूप के सिवा और कुछ नहीं प्राप्त होता है। इसके साथ उत्साह का गुण भी सर्वत्र विधमान नहीं है।