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अध्याय
१.
२.
३.
४.
५.
[ xxvi ] द्वितीय विभाग
२. यौगिक उपलब्धि से सम्बन्ध और परिणाम
६५-११६
पृष्ठांक
६५-७४
शरीर और आत्मा की शक्ति का परिणमन रूप - वीर्य योग और वीर्य, वीर्य का शब्दार्थ, वीर्य की व्युत्पत्ति, लब्धि वीर्य, उपयोग वीर्य, वीर्य के प्रकार- सलेश्य वीर्य, द्रव्य वीर्य, भाववीर्य, अध्यात्म वीर्य, बालवीर्य, पंडित वीर्य, कर्मवीर्य, अकर्मवीर्य, निक्षेप वीर्य, वीर्य उत्तेजना, बाह्य उत्तेजना का वीर्य पर प्रभाव, योग और वीर्य से प्राप्त लाभ ।
लेश्या से रासायनिक बदलते रूप
योग और लेश्या, लेश्या शब्दार्थ, लेश्या की परिभाषा, _शुभाशुभ भावनाएँ, शब्द, रूप, गंध, रस, स्पर्श, स्पर्श और गतियोग, शीत और उष्ण स्पर्श, रंगों का स्पर्श, शुभ लेश्या, अशुभ लेश्या, योग और लेश्या से प्राप्त लाभ ।
तनाव का मूल केन्द्र बन्ध हेतु का स्वरूप
योग और बन्ध, बन्ध याने क्या ?, बन्ध व्युत्पत्ति, बंध की परिभाषा, बन्ध हेतु का स्वरूप, बन्ध के प्रकार । योग और बन्ध से प्राप्तं हानि । काम-वासना की मुक्ति का परम उपाय- ब्रह्मचर्य
योग और ब्रह्मचर्य, ब्रह्मचर्य शब्दार्थ किसे कहते हैं । ब्रह्मचर्य का महत्व, योग और ब्रह्मचर्य से प्राप्त लाभ ।
शुभ योग का अंतिम बिन्दु - निष्पत्ति और फलश्रुति योग और समाधि, समाधि शब्दार्थ, समाधि की परिभाषा, समाधि के प्रकार, सविकल्प समाधि, निर्विकल्प समाधि, परम समाधि, योग और समाधि से लाभ ।
७५-८८
८९-९१
९३-९४
९५-१०१
६. वृत्तियों के निरोध का सृजन उपाय और अनुभूति रूप आनन्द १०३ - ११६ बाह्य और आंतरिक भावना, यम, नियम, आसन कामोत्सर्ग, कायोत्सर्ग का कालमान, पद्मासन, पद्मासन से लाभ, प्राणायाम, प्राणायाम का लक्षण और भेद, प्राण और विज्ञान, प्राणायाम के प्रकार, प्राणायाम से लाभ, प्रत्याहार, प्रतिसंलीनता के भेद, धारणा, ध्यान, समाधि ।