________________
२४६ / योग-प्रयोग-अयोग
संस्कार के रूप में ग्रंथियों में जमा हाती जाती हैं। परिस्थिति और घटना के अनुरूप मानव घटित होता रहता है और उसी रूप में विचार, भाव, स्मृति, कल्पना आदि रूप प्रवृत्तियों का संचालन इन ग्रन्थियों के द्वारा उत्पन्न स्रावों (हार्मोन्स) के माध्यम से होता है। जिससे मस्तिष्क विशेष रूप में सक्रिय रहता है। फलतः कभी वासनाएँ उत्तेजित होती हैं तो कभी कषाय जागृत होती है, कभी आनन्द की तरंगें उठती हैं, तो कभी आंखें आंसू बहाती हैं । बिना आलंबन उत्तेजना या वासना प्रकट नहीं हो सकती। कोशिकाएँ, नाड़ियाँ, धमनी, फेफड़े, किडनी, हृदय आदि में इन सारी ग्रंथियों में पड़े हुए संस्कारों का प्रभाव होता है। जैसे-आमाशय, पक्वाशय, आंतें नलिकाएँ इत्यादि पर जो साव बहता है समूचे शरीर में ऊर्जा का संचार करता है। ____ अंतःस्रावी ग्रंथियाँ (endocrine glands) अनेक हैं, और भिन्न-भिन्न रूप में शरीर, मन और भावों में सवित होती हैं जैसेपिनियल ग्लैण्ड ___ यह ग्रंथि मस्तिष्क के मध्य भाग में है। साइंस के पुरस्कर्ताओं ने उसकी ऊर्जा के व्यय को रोकने का उपक्रम सोचा है क्योंकि मस्तिष्क ऊर्जा का दो प्रकार से व्यय होता है, १. कषाय, २. योग। कषाय से भावात्मक और योग से मानसिक ऊर्जाओं का हास हाता है। जैसे काम, क्रोध, मद, लोभ, ईर्ष्या, वैमनस्य आदि आवेगों से मस्तिष्क की ऊर्जा का विशेष हास होता है। पिनियल ग्रंथि के स्राव से शान्ति, आनंद आदि की विद्युत ऊर्जा से इन आवेगों को मंद किया जाता है। पिच्यूटरी ग्लैण्ड
इस ग्रंथि के सावित होने से मानसिक तनाव का अभाव होता है। शारीरिक स्वस्थता बनी रहती है। इसका स्थान भौवों के बीच मस्तिष्क के मध्य भाग में है। इस पर हरे रंग का प्रभाव होता है। थॉयराइड ग्रंथि
यह ग्रंथि स्वर यन्त्र के समीप श्वास नली के ऊपर होती है। इसके द्वारा जिन रसों का स्राव होता है उनसे तिरस्कार-प्यार में, अशान्ति और तनाव, आनन्द में, कमजोरी और उदासीनता-प्रसन्नता में, सक्रिय होती है। इस पर पीले रंग का प्रभाव होता है। बुद्धि, स्मृति, कल्पना आदि इस ग्रंथि से संवर्धित होते हैं । थाइमस ग्रंथि
यह ग्रंथि शारीरिक थकान को दूर करती है। अनुभव, आशा और बौद्धिक स्तर का संवर्धन करती है। यह ग्रंथि हरा और पीला मिश्रित नीबू के रंग की होती है।