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योग-प्रयोग-अयोग/२४७
एड्रेनल ग्रन्थि
बुरी आदतें उत्पन्न होना जैसेत्त्क्रूरता, आत्महत्या, धोका देना, विश्वासघात करना, मारना, पीटना, सम्पत्ति, संतान, सत्ता, सुन्दरी आदि में लोलुपता इत्यादि । गोनाड्स ग्रंथि
यह भी इसी प्रकार अनेक स्थलों पर अनुसंधान करती हैं। विशेष कामना प्रधान के रूप में पायी जाती है। आकृति नं. १४
Cerebrum
Thalamus'पिनियल-पिट्यूटरीग्रंथि के योग से निर्विकल्प दशा, मनोनिग्रह, विद्युत आभा
-पिनियल ग्रंथि Pincal gland "पिट्यूटरी ग्रंथि Pituitary gland
Cere bellum - मोडुला ऑबलोंगेटा Medulla oblongata
दोनों ग्रंथियों के संयोग से वृत्तियों का परिवर्तन कोध-क्षमा, मानसरलता, माया, नम्रता,लोभ, संतोष.
विद्युत ऊर्जा तरंगित होती है, चेतना का ऊध्वरोिहण, साहल बल और उत्साह में वृद्धि
में वृद्धि gd
थाइरॉयड ग्रन्थि (Thyroid gland) .
पेराथाइरॉयड ग्रंथि (Parathyroid gland)
मेरूरज्जू (Spinal Cord)
थाइमस ग्रंथि (Thymus glands).
दोनों ग्रंथि के संयोग से अहं विसर्जन वासनात्मक आवेगों का नाश और बहमचर्य की साधना में निवास होता है।
. एड्रीनल ग्रंथि Adrenalands).
रीड की हडी-मेरुदण्ड (Vertebral column)|| 'सिर से नितंब (back of pelvic) तक श्रृंखला पा के रूप में है। उसकी लम्बाई ६०-७० ० सेण्टीमीटर तथा ३३ जोड़ से है जिसे कशेरुकाऐं (Vertebrae) कहते हैं। इन • कशेरुकाओं में प्रकम्पन का अनुभव निरन्तर करने से सुषुम्ना त्वरित गति से जागृत होती है।
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गोनाड्स पिच्युटरी ग्रन्थि मटर के दाने जैसी छोटी ग्रन्थि है। किन्तु सक्रिय होने से ऊपरी छोर से भीतर गहराई में सुषुम्ना को जागृत करने में तथा प्राण के प्रकंपनों (Vibrations) का अनुभव कराती है। सुषम्ना जागृत होने से पैर के अंगूठे से लेकर सिर तक . सम्पूर्ण शरीर में आन्तरिक परिवर्तन पाया जाता है। सम्पूर्ण स्थूल शरीर में बिजली की धार की लकीरे अनुभूत होती हैं। सूक्ष्म शरीर में और अति सूक्ष्म शरीर में दिव्य ज्योति शिखा के रूप में प्रज्जवलित होती है।