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योग-प्रयोग-अयोग/२४१
करती है, माजांरी हंस के बच्चे को स्नेह की दृष्टि से देखती है, तथा मोरनी सर्प के बच्चे से प्यार करती है। इसी प्रकार अन्य प्राणी भी परस्पर वैरभाव को भूल जाते हैं।
इस प्रकार समत्व से आत्मतत्व पर तथा राग-द्वेष रूपी शत्रु पर विजय प्राप्त होती है। इतना ही नहीं जटिल से जटिल कर्मों का क्षय भी हो जाता है।
समता की प्रयोगशाला में जिन्होंने संयम का सूत्र सिखाया, कर्मों के चित्र को ध्यान का प्रकरण बनाया और शाश्वत प्रसन्नता का वरदान दिया उनका इतिहास सदा के लिए अमर बन गया ।