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योग-प्रयोग-अयोग/८१
उपाय रसनियन्त्रण बताया है। जैन दर्शन में बारह प्रकार के तप में अनशन, उणोदरी और रस परित्याग तीन तप बताये हैं । अल्प आहार उणोदरी, नीरस आहार रस परित्याग और अणाहार अनशन कहा जाता है।
अल्प सात्त्विक, पथ्यात्मक और हितावह आहार साधना के क्षेत्र में आवश्यक है। अधिक, अनुपयुक्त, हानिकारक तथा अभक्ष आहार साधना के क्षेत्र में बाधक है।३
खाद्य सामग्री केक, पीझा, आमलेट, बोर्नबीटा, चॉकलेट, आइसक्रीम, जैसी, चीजें आदि पदार्थों में जिलेटिन पाउडर, अण्डों५ का रस आदि का उपयोग होता है। मदिरापान, शराब, बीयर, व्हिस्की, तम्बाकू, ब्राउन सुगर, पान-पराग आदि नशीले ड्रिंकिंग और स्मोकिंग पदार्थ साधना में बाधक होते हैं।
बाधक अभक्ष आहार, अधिक आहार और हानिकारक आहार से शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और भावनात्मक परिवर्तन पाया जाता है। आहार सीमित आवश्यक है सीमातीत नहीं । भूख ऐच्छिक है किन्तु सीमातीत नहीं । जैसे पानी सौ डिग्री गर्म करने पर भाप बन जाता है किन्तु निन्यानवे डिग्री पर रुक जाए तो पानी पुनः ठंडा पानी के रूप में ही मिलता है। यदि सौ डिग्री के बाद रूकना चाहो तो पानी नहीं मिलेगा। केवल १ डिग्री का फर्क है १०० डिग्री है तो पानी पानी नहीं, निन्यानवे डिग्री है तो पानी-पानी है। आहार, पानी, रस, वृत्ति आदि की मात्रा ठीक इसी रूप में आवश्यक है। रस की ऊर्जा या रासायनिक परिवर्तन से योगी भोगी बन जाता है और भोगी योगी बन जाता है अतः रस योग का नियन्त्रण साधना के क्षेत्र में सुनियोजित उपाय है। स्पर्श
प्रत्येक लेश्या का अपना स्पर्श होता है। आन्तरिक अनुभूति की स्पर्शना भावों की
३. १९७१ में अमेरिका की प्रयोगशाला में जिन निरीह प्राणियों के प्राण लिये जाते हैं उनका संशोधन किया है। क्योंकि उन प्राणियों के रक्त, मांस, हड्डी आदि में से जिन पदार्थों का निर्माण होता है वह रसास्वाद भोग और उपभोग के लिए होते हैं। जैसे- बन्दर ८५२८३०, सूअर ४६६२४०, बकरे २२,६९१. कछुए १,८०,०००, बिलाव २,००,०००, कुत्ते ४,००,०००,खरगोश ७,००,००० मेंढक १५ से २० लाख, जूहें ४,००,००,००० को प्रतिदिन कत्ल कर उसमें से बनाया जाता है। खाद्य पदार्थ तथा भोग
उपभोग के साधन बनाये जाते हैं। ४. आम स्ट्रेडाम में डेढ़ सौ साल पुराना केलेरिया मारिया का चीझ फार्म है। दूध को २९ डिग्री सेल्सियस
तक गर्म किया जाता है, फिर चिझ बेक्टीरिया का प्रयोग किया जाता है तत्पश्चात् रेटिन नाम का पदार्थ,
जो एक सप्ताह के गाय आदि के बछड़े के आमाशय का रस झिल्ली में से मिलता है, वह डाला जाता है। ५. अंडों से सावित पीला रस शरीर में कोलेस्टोरेल, हार्टएटेक, B.P. किडनी फेल आदि रोग उत्पन्न
करता है। अंडों में २५ हजार छिद्र होते हैं जिससे वह श्वासप्रश्वास लेता है ४ ग्रेन कोलस्टोरेल होता