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योग-प्रयोग-अयोग/२२७
आकृति नं. ११ आग्नेयी धारणा
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आग्नेयी धारणा में रमण करते हुए मुनिराज आग्नेयी धारणा में आत्मा सिंहासन पर बिराजमान होकर नाभि के भीतर हृदय की ओर ऊपर मुख किये हुए सोलह पंखुड़ियों वाले रक्त कमल की धारणा करता है तथा उस अग्निमंडल में तीव्र ज्वाला उठती हुई देखें, उनमें आठों कर्म भस्म हो रहे हैं तथा वे जलकर राख बन गये हैं। आत्मा तेज रूप में दमक रहा है, इस प्रकार : धारणा करें। ......