________________
योग-प्रयोग-अयोग/२२९
आकृति नं. १३ वारुणी धारणा
SHARE
RAN
ura.'
-::...
..:
K
ARTHA
..
FARPUR
..
..
......
....
..
5
::.:.
.'.'
....
FA
--
वारुणी धारणा में संलग्न मुनिराज वारुणी अर्थात् जल की धारणा के साथ मन को जोड़ना। वायवी धारणा से आगे बढ़कर योगी सोचता है, आकाश में मेघों का समूह उड़ रहा है। बिजली चमक रही है
और धीरे-धीरे खूब जोर की वर्षा भी शुरू हो गई है। मैं बीच में बैठा हूँ, मेरे शरीर पर पानी बरस रहा है और मन तथा शरीर के समस्त ताप शांत हो जाते हैं।