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८४ / योग- प्रयोग अयोग
दुःखद स्थान
सुखद स्थान
स्पर्श का शब्द, रूप, रस और गन्ध से विशेष सम्बन्ध पाया जाता है। जैविक, पारिवारिक, सामाजिक, धार्मिक इत्यादि परिस्थितियों पर विशेष रूप में स्पर्श का प्रभाव पाया जाता है ।
सुख और दुःख दोनों का मनोज्ञ-अमनोज्ञ बोध पाया जाता है । किन्तु ध्यान, एकाग्रता, समता समाधि आदि अवस्था के पश्चात् दोनों के अनुभवों में परिवर्तन पाया जाता है।
वैज्ञानिकों द्वारा ओरोटॉन मशीन से जो शब्द श्रवण किया जाता है उसे रूप (रंग) के माध्यम से सुना जाता है ।
रंगों का स्पर्श
सामान्य तौर पर रंगों में लाल रंग, हरा और नीला रंग प्रमुख रंग माने जाते हैं। अन्य रंग सम्मिश्रण से होते हैं और श्वेत वर्ण स्वाभाविक है जैसे- सूर्य के प्रकाश को त्रिकोण काँच के टुकड़े में से देख सकते हो कि श्वेत प्रकाश रंग-बिरंगा दिखाई देता
है।
रंगों के स्पर्श से शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और भावात्मक रूपान्तरण पाया जाता है। जैसे - लाल रंग के प्रभाव से ।
रंग - लाल (Red)
शारीरिक
मानसिक
आध्यात्मिक
भावात्मक
शरीर में शक्ति का संचार होना, मांस-पेशियों में सक्रियता आना, क्षार तत्त्वों की अल्पता होना, नाड़ियों को सशक्त बनाना रक्त कणों से लाभान्वित होना । ज्ञानवाही नाड़ियों को प्रभावित करना, कामोत्तेजना का मन पर प्रभाव, विद्युत तत्त्व से मानसिक स्थिरता, आलस्य का प्रमाण विशेष ।
प्रसन्नता, प्यार, अग्नितत्त्व की प्रधानता । अपने भाव के अनुरूप रंग का प्रभाव जैसे क्रोध, मान प्यार, तिरस्कार, काम इत्यादि (विशेष चार खरब साठ अरब वायु कंपन प्रति सेकण्ड पर लाल रंग का संवेदन आरम्भ होता है ।)