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८६ / योग-प्रयोग-अयोग
श्वेत वर्ण और काला वर्ण दोनों का स्वतन्त्र अस्तित्व होने पर भी श्वेत प्रकाश और काला अंधकार के रूप में दोनों की संवेदना मस्तिष्क में सम रूप में उत्तेजित होती है। किन्तु प्रभाव दोनों का भिन्न होता है जैसे श्वेत वर्ण हमारी आंतरिक ऊर्जा को उजागर करने का सफल वर्ण है। मस्तिष्क में समूचे ज्ञानतन्तु का संवाहक करने वाला धूसर रंग का एक द्रवित स्राव है। जैसे सुषुम्ना में श्वेत रंग का स्राव होता है तब सोयी हुई शक्ति जागृत होती है। रंग-श्वेत (White) शारीरिक
स्वास्थ्यदायक, ज्ञानतन्तु सक्रिय, तनावमुक्त अवस्था मानसिक
वृत्तियों का रूपान्तरण, मूल स्वभाव में स्थिरता,
योग विशुद्धि, समभाव, शान्त प्रकृति । आध्यात्मिक
एक स्थान पर स्थिर होकर एकाग्रता धारण करना, चन्द्र जैसा श्वेत, मन्त्र-यन्त्र आदि को धारणा के रूप में केन्द्रित करना इत्यादि । भावनात्मक-सतोगुण
प्रधान त्याग, वैराग्य तथा क्षमा प्रधान । काला वर्ण
काला वर्ण अवशोषक होता है । नील वर्ण की अल्पता से-क्रोध की वृद्धि नील वर्ण में १० मिनट ध्यान करने से क्षमा, शान्ति, समता का अनुभव । लाल वर्ण की अल्पता से-आलस्य की वृद्धि
लाल वर्ण में १० मिनट ध्यान करने से स्फूर्ति, नियन्त्रण की शक्ति, आंतरिक जागृति।
पीले वर्ण की अल्पता से बौद्धिक हानि, ज्ञानतन्तु की मंदता
पीले वर्ण में १० मिनट ध्यान करने पर-बौद्धिक विकास, तेजस् बल, विद्युत ऊर्जा आदि।
काले वर्ण की अल्पता से-प्रतिरोधात्मक शक्ति कम होती है।
काले वर्ण में १० मिनट ध्यान करने पर-बाह्य प्रभाव से पर होकर आंतरिक शक्ति का संवर्धन होता है।
वर्ण स्पर्श
ग्रह शान्ति अरिहंत का श्वेतवर्ण ऊँ हीं श्रीं नमो अरिहंताण चन्द्र-शुक्र का स्पर्श सिद्ध का रक्तवर्ण ॐ हीं श्रीं नमो सिद्धाणं सूर्य मंगल का स्पर्श . आचार्य का पीतवर्ण ऊँहीं श्रीं नमो आयरियाणं गुरु का स्पर्श