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द्वितीय विभाग
(२) यौगिक उपलब्धि से सम्बन्ध और परिणाम
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अध्याय १. शरीर और आत्मा की शक्ति का परिणमन रूप – वीर्य ( योग और वीर्य)
अध्याय २.
अध्याय ३.
अध्याय ४.
लेश्या से रासायनिक बदलते रूप (योग और लेश्या)
तनाव का मूल केन्द्र बन्ध हेतु का स्वरूप (योग और बन्ध)
काम-वासना की मुक्ति का परम उपाय- ब्रह्मचर्य । ( योग और ब्रह्मचर्य)
अध्याय ५. शुभ योग का अंतिम बिन्दु निष्पत्ति और फलश्रुति (योग और समाधि)
अध्याय ६. वृत्तियों के निरोध का सृजन उपाय और अनुभूति रूप आनन्द । ( बाह्य और आंतरिक भावना)