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[CTID_ अनुक्रम
INDI
प्रथम विभाग १. योग की रासायनिक प्रक्रिया प्रयोग और परिवर्तन के रूप में
१-६३
अध्याय
पृष्ठांक
१. आगमिक योग में अनुशीलन के प्रयोग
१-१५ त्रिसंयोगात्मक योग-प्रयोग, जड़ चेतन अभेद योग एवं भेदविज्ञान प्रयोग, शाब्दिक अर्थ में योग का प्रयोग, चित्त निरोध का उपाय, चित्त
की अवस्थाएँ, संप्रज्ञात असंप्रज्ञात समिति- गुप्ति योग। २. प्राप्तिक्रम में प्रयोगात्मक निरीक्षण और परीक्षण
१७-३२ परिवर्तन की प्रक्रिया मनोयोग का प्रयोग, परिवर्तन की प्रक्रियावचनयोग का प्रयोग, परिवर्तन की प्रक्रिया काय योग का प्रयोग, शरीर ज्ञान, सुषुम्ना से चक्रों का उद्घाटन, आसन जय, इन्द्रिय जय, प्राणवायु जय, नाड़ीतन्त्र। साहित्यिक योग में अनुशीलन के प्रयोग
३३-४८ सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, सम्यकचरित्र, योगबिन्दु-अपुनर्बन्धक, सम्यकदृष्टि, देशविरति, सर्वविरति, योगदृष्टिसमुच्चय, योगशतक, योगविशिका, योगशास्त्र और जैन दर्शन का साम्य, प्रमाण का लक्षण एवं जैन विचारधारणा, संप्रज्ञात और असंप्रज्ञात समाधि का स्वरूप,
औदयिक भाक, क्षायोपशमिक भाव, पारिणामिक भाव । ४. साहित्य के मुख्य दो पहलू-व्याकरण और इतिहास, योग संयोग में ४९-६३
व्याकरण की दृष्टि से योग समाधि और संयोग, साध्य साधन में अर्थघटन, पर्याय की दृष्टि से योग, विकास और आविर्भाव की दृष्टि से योग, ऐतिहासिक दृष्टि से योग का विश्लेषण ।