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साहित्यिक योग में अनुशीलन के प्रयोग
तृतीय चरण (पृष्ठ ३३ से ५० तक) १. तत्त्व ज्ञान की प्राप्ति का उपाय-ज्ञान २. यथार्थ मार्ग का आधार-दर्शन ३. कुशल प्रवृत्तियों का प्राण-चारित्र ४. योगाधिकारी की उपज से मार्गान्तरीकरण
१. योग श्रेणी २. योग दृष्टि ३. योग भूमि
४. शब्द, विषय और प्रक्रियात्मक रूप से सादृश्य-वैदृश्य ५. भाव विश्लेषण-उदय, क्षयोपक्षम, परिणाम